उत्तराखंड राज्य में बीते एक माह में लगातार सड़क हादसे हो रहे हैं और प्रशासन के लाख दावे के बावजूद सड़क हादसे रोक नहीं रहे और राज्य भर से लगातार हादसों की खबर आ रही है जिससे साबित होता है कि शासन प्रशासन के फैसला सिर्फ मीटिंग तक ही होते हैं और उनका कोई ठोस उपाय शासन प्रशासन के पास नहीं है
लगातार सड़क हादसे होने के बाद मुख्य सचिव द्वारा हादसों की मॉनिटरिंग करी गई किंतु तब भी सड़क हादसों में कोई कमी नहीं दिखाई देती और सड़क सुरक्षा के ऊपर कोई ध्यान ,विशेष कार्य नहीं किया जा रहा जिससे सड़क हादसों पर रोक लगी,राज्य सरकार बार-बार दावे करती है सड़क हादसे रोकने के लिए बड़ी-बड़ी मीटिंग करी जाती है किंतु उसका कोई परिणाम नहीं निकलता दिख रहा
हादसों के नाम पर बड़े-बड़े चालान भरने तक ही प्रशासन सीमित रहता है किंतु समस्या के मूल कारण और उसे रोकने के लिए क्या बेहतर उपाय हो सकते हैं उस पर बिना सटीक अध्ययन के कार्य नहीं किया जा सकता
कई हादसों में देखा गया है कि दिखाने के लिए जांच कमेटी बना की जाती है किंतु कोई उसका रिजल्ट नहीं निकलता और फाइलों में ही रहकर कार्य निपटा दिया जाता है, जब इस प्रकार के हीलाहवाली होने लगेंगी, सुधारीकरण की गुंजाइश कम ही बचती है।
सच्चाई यह भी है कि पुलिस प्रशासन के पास कोई इंजीनियर नहीं है,ना यहाँ ट्रैफिक इंजीनियर हैं, ना हाईवे इंजीनियर है जो सड़क दुर्घटनाओं पर जांच कर सके, सड़कों को बेहतर बना सकें और हादसा मुक्त सड़क बन सके।
उत्तराखंड राज्य में रिकॉर्ड संख्या में पर्यटक आ रहे हैं किंतु पहाड़ी क्षेत्रों में गाड़ी चलाने में दिक्कत होने के कारण हादसे हो रहे हैं जिसमें बेगुनाह लोगों की जान जाती है और अधिकतर जो कमाने वाले लोग हैं, परिवार इन पर निर्भर है, उन लोगों की हादसे में जान चली जाती है, ओर पर्यटक भी इससे भयभीत होते हैं।
इस तरह हादसे में बेगुनाहों की जान जाना एक गंभीर समस्या है जिसका समाधान सभी को मिलकर ढूँढने की आवश्यकता है किंतु शासन को पहले तो सही समस्या पहचानने होगी और उसका सही से समाधान निकालने के लिए प्रयास करना होगा अन्यथा हवा हवाई दावों से,ऑफिसों में बैठकर मीटिंग करने से, मीटिंग में डांट फटकार करने से सड़क हादसे नहीं रुकने वाले