कुमाऊं विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र के तत्वावधान में जनजातीय सांस्कृतिक विरासत एवं स्वदेशी प्रथाओं पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हुई। संगोष्ठी शुरू होने से पहले माता जियारानी महिला अध्ययन केंद्र का उद्घाटन कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति दीवान सिंह रावत, अल्मोड़ा विश्वविद्यालय के कुलपति सतपाल सिंह बिष्ट और महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक नीता बोरा शर्मा ने किया। मुख्य वक्ता जामिया मिलिया विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नुसरत खान और दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर पिंकी शर्मा ने जनजातीय महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा की और संबंधित कानूनों और जागरूकता के बारे में अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज भारत के इतिहास और पहचान का एक अनिवार्य हिस्सा है, उनकी परंपराओं को समझने से भारत की सांस्कृतिक विविधता को समझने में मदद मिलती है। इस अवसर पर जनजातीय भाषा विशेषज्ञ जगदीश पंत द्वारा लिखित पुस्तक ‘उत्तराखंड की पुस्तकें जनजातीय भाषा और साहित्य’ का विमोचन किया गया।