दमकल विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार अग्निकाल 15 फरवरी से बीते छह मई तक दमकल विभाग 101 जंगलों की आग बुझा चुका है। वन विभाग के आंकड़ों में वनाग्नि की सिर्फ 35 घटनाएं दर्ज हैं। बागेश्वर में इस बार अप्रैल और मई में जंगलों की आग ने जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है। इस बार वनाग्नि की रोकथाम में दमकल विभाग वन विभाग से आगे निकल गया है। दमकल विभाग वनाग्नि नियंत्रण में तो आगे है ही वनों में लगी आग की घटनाएं दिखाने में भी आगे है। वन विभाग और दमकल विभाग के आंकड़ों में भारी अंतर है।
दमकल विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार अग्निकाल 15 फरवरी से बीते छह मई तक दमकल विभाग 101 जंगलों की आग बुझा चुका है। वन विभाग के आंकड़ों में वनाग्नि की सिर्फ 35 घटनाएं दर्ज हैं। दमकल विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार फायर स्टेशन बागेश्वर इस अवधि में वनाग्नि की 49 घटनाओं में रोकथाम कर चुका है। फायर स्टेशन गरुड़ 40 जंगलों की आग बुझा चुका है। बात कपकोट के फायर स्टेशन की करें तो वनाग्नि की 12 घटनाओं में रोकथाम की है।
इस अवधि में दमकल विभाग ने जंगलों की आग से इतर भी आग की घटनाओं की रोकथाम की है। बागेश्वर में इस दौरान 9, गरुड़ में दो आग की घटनाएं हुई।
सेटेलाइट से हो रही गणना
बागेश्वर में जंगलों में आग लगने की घटनाओं की गणना वन विभाग सेटेलाइट से कर रहा है। छुटपुट आग की घटनाएं वन विभाग के आंकड़ों में दर्ज नहीं हो रही हैं। वन विभाग के आग के आंकड़े मंडल मुख्यालय से जारी हो रहे हैं।
राहत-बचाव में भी दमकल ही आगे
बागेश्वर में दमकल विभाग अपने मूल कार्य के साथ ही वाहन दुर्घटनाओं और अन्य घटनाओं में भी राहत और बचाव के काम में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। जिले में कहीं भी वाहन दुर्घटना हो, नदी में लोगों के डूबने की घटना हो, दमकल विभाग सबसे आगे दिखाई देता है यानी दमकल विभाग आपातकाल में अहम साबित हो रहा है।
तीन अधिकारियों का प्रभार एक के पास
बागेश्वर में जिला मुख्यालय के साथ ही कपकोट और गरुड़ में फायर स्टेशन है। इन स्टेशनों में से केवल बागेश्वर में अग्निशमन द्वितीय अधिकारी की तैनाती है। गरुड़ और कपकोट में अग्निशमन द्वितीय अधिकारी का पद लंबे समय से रिक्त है। इन स्टेशनों का कामकाज भी बागेश्वर के अग्निशमन द्वितीय अधिकारी गोपाल सिंह रावत को देखना पड़ रहा है।
40 पीआरडी जवान करेंगे वनाग्नि नियंत्रण में सहयोग
वनाग्नि के बढ़ते मामले और वन विभाग के पास मानव संसाधन की कमी को देखते हुए जिला प्रशासन ने 40 पीआरडी जवान भी वनाग्नि नियंत्रण के कार्य में लगा दिए हैं। वन विभाग ने सभी जवानों को बेसिक प्रशिक्षण देकर पांच रेंज में तैनात कर दिया है।
फायर सीजन शुरू होने के बाद वन विभाग ने सभी छह रेंज के 30 क्रू स्टेशनों में 100 फायर वॉचर नियुक्त किए थे। विभाग के 164 कर्मचारियों और फायर वॉचरों को मिलाकर 284 कार्मिकों पर वनों को आग से बचाने की जिम्मेदारी थी। अप्रैल में वनाग्नि की घटनाएं बढ़ीं तो विभाग ने 20 अतिरिक्त फायर वॉचर तैनात किए। विभाग ने डीएम अनुराधा पाल को पत्र लिखकर 50 पीआरडी जवाना नियुक्त करने की मांग की। इसके सापेक्ष युवा कल्याण विभाग की ओर से 40 पीआरडी जवानों को वनाग्नि नियंत्रण कार्यक्रम में तैनात कर दिया है।
एसडीओ सुनील कुमार ने बताया कि युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल विभाग ने एक सप्ताह के लिए 40 जवानों को वनाग्नि नियंत्रण कार्यक्रम में नियुक्त किया है। 10 पीआरडी जवानों को बागेश्वर रेंज और बाकी 30 जवानों को कपकोट, गढ़खेत, बैजनाथ और धरमघर रेंज में भेजा गया है। सभी जवानों को बेसिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
विद्यालयों के 20 मीटर की परिधि में पिरुल की करवाएं सफाई
वनाग्नि के बढ़ते आंकड़ों को कम करने के लिए वन विभाग ने विद्यालयों से मदद मांगी है। विभाग ने सभी विद्यालयों के प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापकों को पत्र लिखकर अपने-अपने स्कूल के 20 मीटर की परिधि में पिरूल और झाड़ियों की सफाई करवाने का अनुरोध किया है।
हर साल जिले में फरवरी से जून के मध्य जंगल आग की चपेट में रहते हैं। वनाग्नि नियंत्रण के लिए वन विभाग की ओर से तैयारियां और दावे तो खूब होते हैं, लेकिन जंगल सुरक्षित नहीं रह पाते हैं। इस साल अप्रैल से वनाग्नि की घटनाएं बढ़नी शुरू हुई थी और मई आते ही एकाएक जंगलों के जलने की रफ्तार तेज हो गई है। ऐसे में विद्यालयों तक भी आग पहुंचने की आशंका बनी रहती है। इधर, एसडीओ सुनील कुमार ने बताया कि सभी विद्यालयों को सफाई करवाने के लिए पत्र जारी कर दिए हैं।
35 घटनाओं में 55.12 हेक्टेयर जंगल जला
बागेश्वर जिले में वनाग्नि की घटनाओं में तेजी से इजाफा हो रहा है। वन विभाग की जानकारी के अनुसार वनाग्नि की 35 घटनाओं में 55.12 हेक्टेयर जंगल जल चुका है और 1,64,260 रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है। मई के पहले हफ्ते में ही वनाग्नि की 17 घटनाएं हो चुकी हैं।
बागेश्वर के पालड़ी, बैजनाथ रेंज के गरुड़ और कपकोट के बास्ती क्षेत्र के जंगलों में आग लगने से वन संपदा को नुकसान हुआ। सोमवार शाम जिला मुख्यालय समेत कुछ स्थानों पर बारिश हुई। हालांकि जिले के कई इलाकों में केवल हवाएं चलीं। बारिश ने आग पर काबू तो किया लेकिन जिला मुख्यालय समेत अन्य स्थानों पर फैैले धुएं से अधिक राहत नहीं मिली। मंगलवार को भी घाटी वाले इलाकों में धुंध छाई रही। ग्रामीणों का कहना है कि लगातार जंगल जल रहे हैं, लेकिन विभाग आग को काबू करने में असफल साबित हो रहा है। आग से चारा पत्ती, कीमती लकड़ियां और मानसून काल में रोपे गए पौधों को नुकसान हो रहा है। वन्य जीव भी आग की भेंट चढ़ रहे हैं।
इधर, एसडीओ सुनील कुमार ने बताया कि बारिश से जंगल की आग फिलहाल नियंत्रित है। वन विभाग के कार्मिक मुस्तैदी से वनाग्नि नियंत्रण में जुटे हैं। ग्रामीणों को भी वनों को बचाने में सहयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।