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उत्तराखंड में सैटेलाइट इंटरनेट: दुर्गम क्षेत्रों में डिजिटल क्रांति का नया युग

उत्तराखंड के हिमालयी सीमावर्ती और दुर्गम क्षेत्रों में जहां पारंपरिक इंटरनेट पहुंचना चुनौतीपूर्ण है, वहां सैटेलाइट इंटरनेट अब एक बड़ा गेम-चेंजर बन रहा है। राज्य सरकार की डिजिटल उत्तराखंड पहल के तहत दूरस्थ गांवों, पर्यटन स्थलों और चीन-नेपाल सीमा से लगे इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाने के प्रयास तेज हो गए हैं। एलन मस्क की स्टारलिंक जैसी वैश्विक सेवाओं के साथ-साथ भारतीय कंपनियां (जैसे Jio, Airtel और BSNL) भी इस दिशा में सक्रिय हैं। यह तकनीक राज्य को पूरी तरह से डिजिटल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में जहां कनेक्टिविटी राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास से जुड़ी है।

उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों की वर्तमान स्थिति

उत्तराखंड चीन के साथ लगभग 350 किमी और नेपाल के साथ 275 किमी की सीमा साझा करता है। पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और अल्मोड़ा जैसे जिलों में कई गांव “डार्क विलेज” हैं, जहां मोबाइल या इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध नहीं है।

  • भौगोलिक चुनौतियां: ऊंचे पहाड़, भूस्खलन, बर्फबारी और प्राकृतिक आपदाओं के कारण फाइबर ऑप्टिक या मोबाइल टावर लगाना महंगा और असंभव है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा: सीमावर्ती गांवों में पलायन बढ़ रहा है, जिससे गांव खाली हो रहे हैं। इससे निगरानी और खुफिया जानकारी प्रभावित होती है।
  • वर्तमान कनेक्टिविटी: कई क्षेत्रों में 2G/3G सिग्नल भी नहीं पहुंचता। आपदाओं (जैसे 2023 की बाढ़) में नेटवर्क पूरी तरह ठप हो जाता है।
  • *सरकारी प्रयास: *वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत 91 सीमावर्ती गांवों में रोड, बिजली और 4G कनेक्टिविटी बढ़ाई जा रही है, लेकिन अभी भी कई जगहों पर कमी है।

सैटेलाइट इंटरनेट कैसे गेम-चेंजर साबित हो सकता है

सैटेलाइट इंटरनेट लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) उपग्रहों से काम करता है, जो पारंपरिक नेटवर्क की तुलना में कम लेटेंसी (25-50 ms) और हाई-स्पीड (50-220 Mbps) प्रदान करता है।

  • सीमावर्ती क्षेत्रों में आसानी से पहुंच: कोई टावर या केबल की जरूरत नहीं।
  • आपदा प्रबंधन: आपातकाल में कनेक्टिविटी बनाए रखना।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा: ITBP और सेना के लिए सुरक्षित संचार, निगरानी और रीयल-टाइम इंटेलिजेंस।
  • आर्थिक विकास: पर्यटन बुकिंग, ऑनलाइन व्यापार और ई-गवर्नेंस सेवाएं।

वैश्विक सेवा प्रदाता: स्टारलिंक का योगदान

एलन मस्क की स्टारलिंक (SpaceX) ने 2025 में भारत में सेवाएं शुरू कीं, जिसमें Jio और Airtel के साथ साझेदारी शामिल है।

  • कीमत: हार्डवेयर किट ₹30,000-₹35,000 और मासिक प्लान ₹3,000-₹8,600 (अनलिमिटेड डेटा)।
  • लाभ: 100-220 Mbps स्पीड, कम लेटेंसी, मौसम-प्रतिरोधी।
  • स्टारलिंक ने उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों पर फोकस किया है, जहां यह रिमोट वर्क, ऑनलाइन शिक्षा और पर्यटन को बढ़ावा देगा।

अन्य वैश्विक और भारतीय प्रदाता

  • Eutelsat OneWeb: Airtel के साथ साझेदारी में ग्रामीण क्षेत्रों को कवर।
  • Jio-SES: रिलायंस जियो की सैटेलाइट सेवा, उत्तराखंड के दूरस्थ इलाकों में टेस्टिंग।
  • BSNL: VSAT और डायरेक्ट-टू-डिवाइस सेवा, हिमालयी क्षेत्रों में उपयोगी।

उत्तराखंड सरकार कैसे उपयोग कर सकती है

डिजिटल उत्तराखंड पहल का लक्ष्य 2025 तक सभी गांवों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाना है।

  • सीमावर्ती गांवों में सैटेलाइट इंटरनेट को वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम में शामिल कर पलायन रोकना।
  • शिक्षा: दुर्गम स्कूलों में ऑनलाइन क्लास और ई-लर्निंग।
  • स्वास्थ्य: टेलीमेडिसिन से दूरस्थ इलाकों में डॉक्टरों की सलाह।
  • आर्थिक विकास: ऑनलाइन व्यापार, पर्यटन बुकिंग और सरकारी योजनाओं का लाभ।
  • सुरक्षा: ITBP और सेना के साथ साझेदारी में सैटेलाइट से रीयल-टाइम मॉनिटरिंग।
  • सरकार सब्सिडी या पायलट प्रोजेक्ट के जरिए किट की लागत कम कर सकती है।

देवभूमि के लोग अखबार के संपादक श्री भानु प्रताप सिंह की पहल

इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अस्कोट, पिथौरागढ
निवासी देवभूमि के लोग अखबार के संपादक श्री भानु प्रताप सिंह ने उत्तराखंड सरकार को एक विस्तृत पत्र लिखा है। उन्होंने राज्य के अनसर्विसेबल (अप्राप्य) क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं के लिए *टेंडर प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।
पत्र में उन्होंने सैटेलाइट इंटरनेट (स्टारलिंक, OneWeb, Jio-SES आदि) को प्राथमिकता देने और ग्रामीण/सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष सब्सिडी वाले प्लान की सिफारिश की है। श्री सिंह ने विस्तृत सुझाव दिए हैं, जैसे:

  • पायलट प्रोजेक्ट में 50-100 गांवों का चयन।
  • हार्डवेयर किट पर 50-70% सब्सिडी।
  • स्थानीय पंचायतों के साथ साझेदारी।
  • आपदा प्रबंधन और शिक्षा के लिए प्राथमिकता।

उनका पत्र सरकार के लिए एक रोडमैप के रूप में काम कर सकता है, ताकि उत्तराखंड के दुर्गम इलाकों में डिजिटल पहुंच को जल्द से जल्द सुनिश्चित किया जा सके।

चुनौतियां और भविष्य

  • कीमत: उच्च हार्डवेयर और मासिक शुल्क ग्रामीणों के लिए चुनौती।
  • भविष्य: 2026 तक उत्तराखंड के अधिकांश दुर्गम क्षेत्रों में सैटेलाइट इंटरनेट उपलब्ध होने की उम्मीद।

सैटेलाइट इंटरनेट उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने का सबसे बड़ा माध्यम साबित हो रहा है। स्टारलिंक जैसी सेवाएं अब हिमालय की ऊंचाइयों तक पहुंच रही हैं, जहां पहले इंटरनेट एक सपना था। यह न केवल कनेक्टिविटी बढ़ाएगा, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था, पर्यटन और राष्ट्रीय सुरक्षा को नई ऊंचाई देगा।

By devbhoomikelog.com

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