Wed. Dec 24th, 2025

उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में स्थानीय युवाओं का ऐतिहासिक प्रदर्शन

यूकेपीएससी-यूकेएसएसएससी परीक्षाओं में रिकॉर्ड संख्या में उत्तराखंड के निवासियों का चयन, आकांक्षियों में उत्साह का माहौल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त निर्देशों के बाद उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं में उत्तराखंड विषय (उत्तराखंड जीके) को अनिवार्य और अनिवार्य बनाने का फैसला अब अपना पूरा रंग दिखा रहा है। इस बदलाव ने राज्य की सरकारी नौकरियों में उत्तराखंड के मूल निवासी उम्मीदवारों की सफलता दर को अभूतपूर्व ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।

हालिया परिणामों में मिले आंकड़े

  • *UKPSC PCS (2024): मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के बाद कुल 189 पदों में से *153 पदों (लगभग 81%) पर उत्तराखंड के मूल निवासी उम्मीदवारों का चयन हुआ। पिछले 5 वर्षों में यह प्रतिशत कभी 60% से अधिक नहीं रहा था।
  • UKSSSC ग्रुप सी भर्तियां (2024-25): जूनियर असिस्टेंट, पटवारी, फॉरेस्ट गार्ड, लेखपाल, वनरक्षक, नायब दरोगा आदि पदों पर कुल 4,800 से अधिक पदों के लिए परीक्षाएं हुईं, उत्तराखंड के स्थानीय बाशिंदों के ही चयन हुए।
  • *UKPSC PCS/Lower PCS/ Assistant Professor/ AE *: कुल 411 पदों में से 347 पद (84%) पर उत्तराखंड के उम्मीदवारों ने कब्जा जमाया।

पिछले वर्षों की तुलना में बड़ा उछाल

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2015-2020 के बीच UKPSC और UKSSSC द्वारा आयोजित परीक्षाओं में उत्तराखंड के मूल निवासियों का औसत चयन प्रतिशत 52-58% के बीच रहा था। उत्तराखंड विषय को अनिवार्य बनाने के बाद यह आंकड़ा 82-87% तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव मुख्यमंत्री धामी के सिलेबस सम्बन्धी सख्त निर्देशों और परीक्षाओं की निरंतर मॉनिटरिंग का परिणाम है।

आकांक्षियों में उम्मीद की नई किरण

देहरादून, नैनीताल, हल्द्वानी, हरिद्वार और उत्तरकाशी के प्रमुख कोचिंग केंद्रों में तैयारी कर रहे हजारों युवाओं में उत्साह का माहौल है। पिछले 3-4 वर्षों में ही हजारों ऐसे उम्मीदवारों को नौकरी मिल चुकी है, जिन्होंने उत्तराखंड जीके पर विशेष ध्यान दिया था।

नैनीताल की एक प्रतियोगी परीक्षा कोचिंग में पढ़ने वाले छात्र नागेश नेगी ने कहा,
“पहले हम हताश हो जाते थे क्योंकि बाहर के उम्मीदवार ज्यादा आते थे। अब उत्तराखंड जीके अनिवार्य होने से हमारी तैयारी ज्यादा सटीक हो गई है। हम देख रहे हैं कि हमारे साथियों में से लगातार लोग नौकरी पा रहे हैं। हमें पूरा विश्वास है कि अगली परीक्षाओं में हम भी चयनित होंगे। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि आयोग की कार्यप्रणाली अभी भी पूर्ण रूप से दुरुस्त नहीं हुई है, जिसके कारण भर्तियां कोर्ट में लटक रही हैं, साथ ही मूल्यांकन से लेकर समयबद्धता को ठीक किए जाने को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री धामी से अनुरोध किया है”

हरिद्वार के एक अभिभावक ने बताया,
“मेरा बेटा PCS की परीक्षा की तैयारी कर रहा है। मुख्यमंत्री जी के
इस फैसले से हमें लगता है कि अब उसके पास वास्तविक मौका है। पिछले कुछ महीने पहले ही उसके 3 दोस्तों को PCS में नौकरी मिली है, जिससे उनके बच्चे में भी सरकारी नौकरी को लेकर उत्साह है।”

मुख्यमंत्री धामी का सख्त रुख

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में एक बैठक में कहा था,
“उत्तराखंड के बेटे-बेटियों को उनके ही राज्य में सम्मानजनक रोजगार मिलना चाहिए। हमने UKPSC और UKSSSC को सख्त निर्देश दिए हैं कि उत्तराखंड विषय को हर परीक्षा में अनिवार्य बनाया जाए और इसकी निगरानी की जाए। यह नीति आगे भी जारी रहेगी।”

आगे की राह

आकांक्षियों का मानना है कि 2026 में होने वाली UKPSC PCS, UKSSSC पटवारी, लेखपाल, पुलिस कांस्टेबल और अन्य भर्तियों में भी यही ट्रेंड जारी रहेगा। कई उम्मीदवारों ने कहा, “हम लगातार देख रहे हैं कि हमारे साथी नौकरी पा रहे हैं। यह देखकर हमारी तैयारी में नया जोश आ गया है।”

यह फैसला न केवल रोजगार के अवसर बढ़ा रहा है, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान, इतिहास और परंपराओं को संरक्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

By devbhoomikelog.com

News and public affairs

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *