देहरादून पुलिस ने ऑपरेशन कालनेमि के तहत एक अंतरराष्ट्रीय धर्मांतरण गिरोह का पर्दाफाश किया, जो पाकिस्तान से संचालित था और आतंकी संगठनों से जुड़ा था। इस गिरोह ने भोली-भाली हिंदू युवतियों को निशाना बनाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाने की साजिश रची। पुलिस ने दो युवतियों को धर्मांतरण से बचाया और कई आरोपियों को गिरफ्तार किया। अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है।
प्रमुख कार्रवाइयाँ
1. बांग्लादेशी नागरिक की गिरफ्तारी
- सेलाकुई में छद्म पहचान: पुलिस ने 31 अगस्त को सेलाकुई के धूमनगर चौक से बंगाली डॉक्टर के रूप में काम कर रहे चयन अधिकारी को गिरफ्तार किया। वह बांग्लादेश का नागरिक था और फर्जी पहचान के साथ हिंदू युवतियों को जाल में फंसा रहा था।
- सहसपुर में साधु के भेष में बांग्लादेशी: लक्ष्मीपुर चोरखाला, सहसपुर से रुकन रकम उर्फ शाह आलम को शनि दान बाबा के भेष में पकड़ा गया। दूतावास और फिंगरप्रिंट जांच से उसकी बांग्लादेशी नागरिकता की पुष्टि हुई।
2. धर्मांतरण की साजिश
- प्रेमनगर में शिकायत: प्रशांत कुमार (इज्जत नगर, बरेली) ने बताया कि उनकी बहन को इंटरनेट मीडिया के जरिए आशिया उर्फ कृष्णा ने धर्म परिवर्तन के लिए प्रलोभन दिया। पुलिस ने युवती की काउंसलिंग कर उसे बचाया।
- रानीपोखरी में लालच: राजकुमार की 21 वर्षीय बेटी सृष्टि बजाज को कुछ लोग पैसे और अन्य प्रलोभनों के जरिए धर्म परिवर्तन के लिए उकसा रहे थे। जांच में बिरसा मुंडा का नाम सामने आया, जो रांची की सेंट्रल जेल में बंद है और हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़ा है।
3. फर्जी पहचान और ठगी
- इफराज अहमद की गिरफ्तारी: सेलाकुई के डीबीएस कॉलेज में रहने वाले इफराज अहमद को फर्जी पहचान के साथ युवतियों को प्रेम जाल में फंसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उसकी पत्नी नाजरीन ने शिकायत दर्ज की थी।
- फर्जी आईएएस अधिकारी: टिहरी गढ़वाल में शशिचंद प्रजापति को कैंपटी में गेस्ट हाउस का नक्शा पास कराने के नाम पर 2.55 लाख रुपये की ठगी के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
4. तांत्रिकों की धोखाधड़ी
- हरिद्वार पुलिस ने 22 अगस्त को तांत्रिक विक्रम और संदीप कुमार को गिरफ्तार किया, जिन्होंने चमत्कारी उपचार के नाम पर 1 लाख रुपये की ठगी की। उनके पास से दो चाकू भी बरामद हुए।
5. कलियर उर्स में बांग्लादेशी पकड़े गए
- 26 अगस्त को कलियर उर्स के दौरान मोहम्मद युसुफ (बेरिसाल, बांग्लादेश) और पूर्व सजायाफ्ता मोहम्मद उज्जल (सुनमगंज, बांग्लादेश) को सत्यापन के दौरान पकड़ा गया। दोनों को डिपोर्ट किया गया।
आतंकी संगठनों से संबंध
जांच में पता चला कि यह गिरोह पाकिस्तान से संचालित था और आतंकी संगठनों के साथ इसके तार जुड़े थे। पुलिस ने सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेम्स के जरिए युवतियों को फंसाने की रणनीति का खुलासा किया। गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश के लिए छापेमारी तेज कर दी गई है।