उत्तराखंड सरकार ने संन्यासी बनकर धार्मिक आस्थाओं का दुरुपयोग करने वाले नकली बाबाओं के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान ‘ऑपरेशन कालनेमी’ शुरू किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर 10 जुलाई से जारी इस अभियान के तहत अब तक राज्य के विभिन्न इलाकों से लगभग 200 imposters को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें आधा दर्जन से अधिक गैर-हिंदू और एक बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ उनके अपराध के स्वरूप के अनुसार भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता (BNSS) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
यह अभियान रामायण के कालनेमी नामक राक्षस के नाम पर रखा गया है, जो भगवान हनुमान को लाक्ष्मण बचाने के मिशन के दौरान संत का वेश धारण कर भटकाने का प्रयास करता था। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि कालनेमी का चरित्र आध्यात्मिक आड़ में छुपे धोखे का प्रतीक है, ठीक वैसे ही जैसे इन नकली साधुओं का उद्देश्य जनता को भ्रमित कर धार्मिक भावनाओं का शोषण करना है। उत्तराखंड में पहले ही यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC), धर्मांतरण विरोधी और दंगा नियंत्रण कानून लागू किए जा चुके हैं, और अब ऑपरेशन कालनेमी को बीजेपी द्वारा सनातन धर्म की रक्षा और राज्य की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के रूप में पेश किया जा रहा है।
देवभूमि उत्तराखंड, जो अपनी प्राचीन धार्मिक विरासत और आध्यात्मिकता के लिए विख्यात है, चारधाम यात्रा और हरिद्वार, ऋषिकेश जैसे तीर्थस्थलों के कारण करोड़ों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। राज्य में कई संन्यासी विभिन्न जगहों पर निवास करते हैं, लेकिन कुछ असली साधुओं का आड़ लेकर नकली बाबाओं ने लोगों की आस्थाओं का दुरुपयोग कर ठगी, शोषण और अपराधों को बढ़ावा दिया है।
पुलिस के अनुसार, इन नकली साधुओं में से कई ने महिलाओं और बच्चों को भी अपना निशाना बनाया है। वे अपने असली मकसद छुपाने के लिए संन्यासी का वेश धारण कर उत्तराखंड में रह रहे हैं, क्योंकि वास्तविक साधुओं के बीच घुल-मिल जाना उनके लिए आसान होता है।
गिरफ्तार अधिकांश आरोपियों का संबंध उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, ओडिशा, राजस्थान, हरियाणा समेत उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से है। देहरादून में सबसे अधिक 111 गिरफ्तारी हुई हैं, जिनमें एक बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल है, जिसे पुलिस जल्द ही देश से निष्कासित करेगी। वहीं उधम सिंह नगर जिले में भी 65 से अधिक नकली बाबाओं को गिरफ्तार किया गया है।
उधम सिंह नगर के एसएसपी माणिकांत मिश्रा ने बताया कि कई नकली बाबाओं पर यौन शोषण और आर्थिक अपराध जैसे गंभीर आरोप हैं। वे कई महीनों से जिला की सीमा क्षेत्रों में संन्यास का आड़ लेकर गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त थे। पुलिस ऐसे लोगों की पहचान कर सख्त कार्रवाई कर रही है।
पुलिस महानिदेशक निलेश आनंद भार्ने ने बताया कि मुख्यमंत्री के आदेशानुसार सभी जिला पुलिस अधिकारियों को इस मामले में सख्त रवैया अपनाने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि मैदानों की तुलना में पहाड़ी जिलों में गिरफ्तारी कम है, लेकिन वहां भी गश्त और जांच जारी है ताकि कोई भी नकली साधु राज्य में अपराध करने या छिपने की कोशिश न कर सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सच्चे साधुओं को परेशान करने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य धार्मिक आस्थाओं का संरक्षण करना है।
यह अभियान भौगोलिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तराखंड की सीमाएं चीन और नेपाल से जुड़ी हैं। ऐसे संदिग्ध तत्व जो संन्यासी के वेश में अपराध करते हैं, वे राज्य की सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा हो सकते हैं।