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देहरादून, 25 अगस्त 2025: अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (USFDA) ने भारतीय कुकवेयर ब्रांड “टाइगर व्हाइट” के खिलाफ एक महत्वपूर्ण चेतावनी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि इसके उत्पादों में खतरनाक स्तर पर लेड (सीसा) भोजन में रिस सकता है। यह चेतावनी विशेष रूप से हरियाणा की कंपनी सरस्वती स्ट्रिप्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित “प्योर एल्यूमिनियम यूटेंसिल्स” के तहत बेचे जाने वाले कुकवेयर पर केंद्रित है। चिंताजनक बात यह है कि भारतीय अधिकारियों ने इस ब्रांड की विषाक्तता को पहचानने में नाकामयाबी दिखाई है, और यह भारत में स्वतंत्र रूप से बिक रहा है।D
चेतावनी का कारण
USFDA ने 13 अगस्त 2025 को एक सुरक्षा अलर्ट जारी किया, जिसमें बताया गया कि टाइगर व्हाइट ब्रांड के कड़ाही/कराही जैसे उत्पादों में एल्यूमिनियम, पीतल और हिंदालियम/इंडालियम जैसे मिश्र धातुओं से बने बर्तनों में लेड की उच्च मात्रा पाई गई। ये बर्तन खाना पकाने या भंडारण के दौरान भोजन में लेड रिसाव करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। न्यूयॉर्क के जमैका में मन्नान सुपरमार्केट में बेचे गए इन उत्पादों की जांच में यह खुलासा हुआ। अमेरिका ने इस ब्रांड पर स्पष्ट टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारतीय अधिकारियों को इसकी तत्काल जांच करनी चाहिए।
भारतीय अधिकारियों की नाकामी
हैरानी की बात है कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) और अन्य संबंधित नियामक निकायों ने अभी तक टाइगर व्हाइट के उत्पादों में लेड की मौजूदगी को लेकर कोई जांच या कार्रवाई शुरू नहीं की है। ये बर्तन भारत के बाजारों में आसानी से उपलब्ध हैं और उपभोक्ता अनजाने में इन्हें खरीद रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय नियामक ढांचे में इस तरह की जांच की कमी उपभोक्ताओं को जोखिम में डाल रही है। अमेरिका की इस चेतावनी के बाद भारतीय अधिकारियों पर दबाव बढ़ रहा है कि वे तुरंत इन उत्पादों की सुरक्षा जांच करें।
लेड प्रदूषण के खतरे
लेड एक विषाक्त धातु है, जिसके संपर्क में आने का कोई सुरक्षित स्तर नहीं माना जाता। विशेषज्ञों के अनुसार, लेड के न्यूनतम स्तर भी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके प्रभाव इस प्रकार हैं:
- बच्चों में: सीखने में कठिनाई, कम आईक्यू, व्यवहार संबंधी समस्याएं और विकास में देरी।
- वयस्कों में: थकान, सिरदर्द, पेट दर्द, उल्टी और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं।
- गर्भवती महिलाएं और शिशु: विकास संबंधी दीर्घकालिक प्रभावों का उच्च जोखिम।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के एक अध्ययन के अनुसार, ऐसे एल्यूमिनियम कुकवेयर में लेड का स्तर 100 पीपीएम से अधिक पाया गया, जो अनुशंसित आहार सीमा से कहीं अधिक है।
USFDA की सलाह
USFDA ने उपभोक्ताओं से आग्रह किया है कि वे अपने घरों में टाइगर व्हाइट, हिंदालियम/इंडालियम या इसी तरह के लेबल वाले कुकवेयर की जांच करें और उन्हें तुरंत नष्ट कर दें। इन बर्तनों को दान या पुनर्चक्रण के लिए नहीं देना चाहिए। यदि किसी को लेड के संपर्क या रक्त में लेड के उच्च स्तर की आशंका है, तो उन्हें तुरंत स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करना चाहिए।
खुदरा विक्रेताओं और वितरकों को इन उत्पादों की बिक्री तुरंत बंद करने और FDA के लेड रिसाव परीक्षण प्रोटोकॉल का उपयोग करने की सलाह दी गई है। USFDA ने स्पष्ट किया कि भोजन के संपर्क में आने वाली किसी भी सामग्री में लेड का उपयोग अधिकृत नहीं है।
भारत में चिंता
यह चेतावनी भारत में भी चिंता का विषय बन रही है, क्योंकि ऐसे बर्तन भारतीय घरों में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने भारतीय एजेंसियों से इस तरह की जांच शुरू करने की मांग की है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में नियामक जांच की कमी के कारण उपभोक्ता अनजाने में जोखिम में हो सकते हैं।
Brand and Product Name: Pure Aluminium Utensils, Tiger White
Trademark Number: RTM No. 2608606
Certification Claim: ISO 9001:2015 certified company
Manufacturer: Saraswati Strips Pvt. Ltd., India
सुरक्षित विकल्प
USFDA और विशेषज्ञ स्टेनलेस स्टील या मिट्टी के बर्तनों को सुरक्षित विकल्प मानते हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भी मिट्टी के बर्तनों को “सबसे सुरक्षित” बताया है, क्योंकि वे भोजन के पोषण मूल्य को बनाए रखते हैं और कम तेल की आवश्यकता होती है।
निष्कर्ष
यह चेतावनी उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण जागरूकता संदेश है कि वे अपने रसोई के बर्तनों की सुरक्षा की जांच करें। भारतीय अधिकारियों को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और टाइगर व्हाइट जैसे ब्रांड्स की जांच कर उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। देवभूमि के लोग अपने परिवार की सेहत को प्राथमिकता देते हुए सुरक्षित कुकवेयर का चयन करें और संदिग्ध उत्पादों से बचें। अधिक जानकारी के लिए USFDA की आधिकारिक वेबसाइट (www.fda.gov) पर जाएं।
लेखक: देवभूमि के लोग न्यूज़ डेस्क