उत्तराखंड सरकार ने उपनल (उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड) के माध्यम से तैनात कर्मियों को नौकरी से न हटाने का निर्णय लिया है। बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस विषय पर चर्चा के बाद सहमति बनी कि जब तक नई नियमावली नहीं बन जाती, तब तक किसी भी उपनल कर्मी को सेवा से नहीं हटाया जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले ही उपनल कर्मियों के नियमितीकरण की घोषणा की थी। इस दिशा में अब सरकार ने ठोस कदम उठाते हुए एक सात सदस्यीय समिति का गठन कर दिया है, जो सभी कानूनी पहलुओं का अध्ययन कर नियमितीकरण के लिए नियमावली का मसौदा तैयार करेगी।
क्या है सरकार की योजना?
- नियमावली का निर्माण:
उपनल कर्मियों को नियमित करने के लिए सरकार एक नई नियमावली तैयार कर रही है। यह नियमावली हाईकोर्ट के निर्देशों और कानूनी प्रावधानों के आधार पर बनाई जाएगी। - सात सदस्यीय समिति गठित:
इस समिति की अध्यक्षता प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु कर रहे हैं। अन्य सदस्यों में प्रमुख सचिव न्याय प्रशांत जोशी, सचिव कार्मिक शैलेश बगौली, सचिव वित्त दिलीप जावलकर, सचिव सैनिक कल्याण दीपेंद्र कुमार चौधरी, सचिव श्रीधर बाबू अद्दांकी और उपनल के प्रबंध निदेशक शामिल हैं। - ड्राफ्ट होगा कैबिनेट में प्रस्तुत:
समिति नियमावली का ड्राफ्ट तैयार कर कैबिनेट की मंजूरी के लिए पेश करेगी।
समस्याएं और चुनौतियाँ
उपनल कर्मियों की तैनाती कई ऐसे पदों पर की गई है जो मूल रूप से नियमित नियुक्तियों के लिए आरक्षित हैं। कुछ पदों की नियुक्ति प्रक्रिया लोक सेवा आयोग से भी जुड़ी है। ऐसे में नियमावली में आरक्षण नियमों और भर्ती प्रक्रिया में आवश्यक बदलाव करना एक बड़ी चुनौती होगा।
तत्काल राहत: कोई नहीं हटेगा नौकरी से
कैबिनेट बैठक में यह स्पष्ट कर दिया गया कि जब तक नियमावली बनकर तैयार नहीं हो जाती, राज्य के विभिन्न विभागों में कार्यरत किसी भी उपनल कर्मी को हटाया नहीं जाएगा। यह फैसला हजारों उपनल कर्मियों और उनके परिवारों के लिए राहत की खबर लेकर आया है।
निष्कर्ष:
उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय उपनल कर्मियों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले समय में नियमावली के ज़रिए यदि नियमितीकरण होता है, तो यह प्रदेश के रोजगार मॉडल में एक बड़ा बदलाव होगा।