उत्तराखंड सिविल कोड डेटाबेस हर विवाहित व्यक्ति की पूरी कुंडली रखेगा। इससे अगर कोई भी व्यक्ति या महिला अपने पूर्व के संबंधों को छुपाकर कोई नया संबंध स्थापित करने का प्रयास करेंगे तो पार्टनर इसके बारे में जानकारी हासिल कर सकता है। इससे धोखाधड़ी जैसे मामलों पर रोक लगेगी।
उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड के डेटाबेस में हर विवाहित या लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों का पूरा विवरण होगा। अगर कोई भी अपने पुराने संबंधों को छिपाकर दूसरा संबंध बनाने का प्रयास करेगा तो उसका पार्टनर इस संबंध में जानकारी ले सकता है। उत्तराखंड में शादी करने या लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की योजना बनाने वाले जोड़े समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के नए प्रावधानों के तहत अपने साथी के अतीत के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे। इसे इस साल के अंत तक राज्य में लागू किया जाना है। अधिकारियों ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य लोगों को दूसरों को गुमराह करके संबंध बनाने से रोकना है।
यूसीसी नियम तैयार करने वाले नौ सदस्यीय पैनल के प्रमुख पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि हर व्यक्ति अपने लिव-इन रिलेशनशिप या विवाह को पंजीकृत करते समय दी गई जानकारी हमारे डेटाबेस में संग्रहित कराएगा, जिससे हमें भविष्य में तथ्यों का संदर्भ ले सकेंगे। जोड़ों को विवाह या लिव-इन स्थिति को समाप्त करने के बारे में अधिकारियों को सूचित करना होगा। शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि जानकारी कानून के अनुसार दी जाएगी और दोनों भागीदारों के साथ तभी साझा की जाएगी, जब वे शारीरिक रूप से मौजूद होंगे। इसके लिए उन्हें लिखित अनुरोध करना होगा। यूसीसी के तहत जोड़ों को अनिवार्य रूप से विवाह या लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण कराना होगा।
बनाया जा रहा है रजिस्ट्रेशन ऐप
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए एक ऑनलाइन पंजीकरण ऐप विकसित किया जा रहा है। इससे लोगों का समय और पैसा बचाने में मदद मिल सकेगी। जोड़ों को अपना आधार विवरण प्रस्तुत करना होगा या बायोमेट्रिक प्रदान करना होगा, इस पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। ब्रेकअप या तलाक के मामले में जोड़ों को सटीक संबंध स्थिति रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए एक समाप्ति फॉर्म भरना और जमा करना होगा। अगर कोई लिव-इन जोड़ा 18 से 21 वर्ष के बीच का है, तो उनके माता-पिता को भी उनके संबंध की स्थिति के बारे में सूचित किया जाएगा।
अधिकारियों को उम्मीद है कि वर्ष के अंत तक उत्तराखंड में यूसीसी प्रावधान लागू हो जाएंगे। यूसीसी में सात अनुसूचियां और 392 धाराएं शामिल हैं, जो विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और लिव-इन संबंधों को संबोधित करती हैं। इसका उद्देश्य बच्चों के लिए संपत्ति के अधिकार सुनिश्चित करते हुए बहुविवाह, बहुपतित्व, हलाला, इद्दत और तालाक जैसी प्रथाओं को समाप्त करना और अजन्मे बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना है।