पिथौरागढ़, 19 अक्टूबर 2025: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला तहसील अंतर्गत फुलतड़ी गांव से निकले होनहार युवा ऋतुंजय सिंह चैसर ने समीक्षा अधिकारी के पद पर जॉइन कर लिया है। फ़िलहाल उन्हें वित्त विभाग में जिम्मेदारी सौंपी गयी है। कड़ी मेहनत और लंबे संघर्ष के बाद मिली इस सफलता ने न केवल उनके परिवार को गर्वान्वित किया है, बल्कि पूरे गांव में खुशी की लहर पैदा कर दी है। खास बात यह है कि ऋतुंजय इससे पहले चंडीगढ़ में यूपीएससी कोचिंग देते रहे हैं, और उन्होंने कहा है कि वे कोचिंग जारी रखेंगे, जो उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।
गांव के निवासी और युवा प्रेरणा स्रोत ऋतुंजय ने अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने माता-पिता, गुरुजनों एवं मुश्किल घड़ी में भी साथ निभाने वाले मित्रों को दिया है। उन्होंने बताया, “यह सफलता लंबे संघर्ष और कड़ी मेहनत का फल है। कई सालों तक रात-दिन पढ़ाई की, असफलताओं का सामना किया, लेकिन हार नहीं मानी। इसके पीछे मेरी माता-पिता का अथाह आशीर्वाद व समर्थन है, साथ ही गुरुजनों के मार्गदर्शन और उन मित्रों का योगदान जिन्होंने मुश्किल घड़ी में भी मेरा साथ निभाया। उनके पिता के संघर्षों ने उनके हमेशा से प्रेरणा दी है।”
उनके पिता विजय सिंह चैसर ने बेटे की इस उपलब्धि पर भावुक होकर कहा, “ऋतुंजय ने हमेशा पढ़ाई पर ध्यान दिया। हमने कभी उसे हतोत्साहित नहीं किया। आज गांव का नाम रोशन हुआ है, यह सिर्फ हमारी नहीं अपितु पूरे गांव की उपलब्धी है।”
सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ के सुदूर धारचूला के फुलतड़ी जैसे दुर्गम ग्रामीण क्षेत्र से निकलकर ऋतुंजय की यह यात्रा अन्य युवाओं के लिए एक जीवंत प्रेरणा बनेगी। स्थानीय ग्राम प्रधान ने बताया कि गांव में ऋतुंजय की सफलता से ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों में उत्साह का संचार हो गया है, और कई युवा अब ऋतुंजय की इस सफलता से प्रेरणा लेकर चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं की ओर रुख कर रहे हैं।
जिला प्रशासन ने भी ऋतुंजय को हार्दिक बधाई दी है और आशा जताई है कि वे अपनी नई भूमिका में उत्कृष्ट कार्य करेंगे। धारचूला के निवासियों ने सामूहिक रूप से ऋतुंजय परिवार का स्वागत करने की योजना बनाई है, इसके अलावा, व्यापार संघ धारचूला के अध्यक्ष भूपेंद्र थापा भी शीघ्र सम्मान समारोह आयोजित करने वाले हैं, जिसमें स्थानीय व्यापारियों और समुदाय के लोग ऋतुंजय की उपलब्धि पर उन्हें सम्मानित करेंगे।
ऋतुंजय सिंह चैसर की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे पिथौरागढ़ जिले के लिए गौरव का विषय है, क्योंकि वह बेहद सामान्य परिस्थितियों से आते हैं। छुट्टियों में वह अपने माता-पिता के साथ खेतों में काम करते थे और गाय पालन से खेती आदि का भी हुनर उन्हें बख़ूबी आता है। उन्होंने बताया कि कोई भी कार्य लगनशीलता से किया जाए तो वह अवश्य सफल होता है और कोई भी कार्य छोटा-बड़ा नहीं होता है, यह एक दृष्टिकोण भर है।

उन्होंने यह भी कहा कि “अगर मैं राजकीय सेवा में नहीं लगता तो, मैं जो भी कार्य करता उसकी पूरी लगन और परिश्रम से करता जिसमें मुझे अपने सौ परसेंट देने के बाद ही आत्म संतुष्टि रहती और सचिवालय में भी मैं इस ध्येय से कार्य करूंगा कि मैं समान रूप से सभी लोगों के हित में कार्य कर सकूं और जो भी बेहतर मेरे से इस राज्य के प्रति, इस राज्य के लोगों के प्रति हो सकेगा मैं पूरी निष्ठा से वह कार्य करने की कोशिश करूंगा।”
युवाओं से अपील करते हुए उन्होंने कहा, “लंबा संघर्ष और कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है। ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों को कभी हार न मानने की सलाह दूंगा। सपनों को पंख लगाओ, और आगे बढ़ते रहो।”
