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पुलिस ने दून में अंतरराज्यीय धोखाधड़ी रैकेट का भंडाफोड़ किया, दो गिरफ्तार

देहरादून पुलिस ने दो लोगों आयुष कुमार पाठक और प्रणव कुमार को अंतरराज्यीय रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। ये रैकेट पैसे के बदले दूसरे अभ्यर्थियों की जगह प्रतियोगी परीक्षा देने के लिए नकलची लोगों की व्यवस्था करते थे। देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि 20 अप्रैल को केंद्रीय विद्यालय ओएनजीसी, देहरादून में सीबीएसई भर्ती परीक्षा के दौरान सीबीएसई अधिकारियों ने एक संदिग्ध अभ्यर्थी की पहचान की। दस्तावेजों की जांच और उससे पूछताछ करने के बाद पता चला कि वह कथित तौर पर दूसरे अभ्यर्थी की नकल कर रहा था। नकलची आयुष कुमार पाठक ने झारखंड के धनबाद के गौतम कुमार पासवान की जगह परीक्षा देने की बात कबूल की। ​​पुलिस ने कैंट थाने में धारा 61(2), 319(2), 318(4) और 336(3) के तहत मामला दर्ज किया। एसएसपी ने बताया कि पुलिस ने पाठक से पूछताछ की तो उसने बताया कि वह प्रयागराज में रहता है और एसएससी परीक्षाओं की तैयारी करता है। उसकी मुलाकात बिहार के नालंदा के राजगीर निवासी प्रणव कुमार से हुई, जो सालों से नकल का रैकेट चला रहा था। कुमार ने पाठक को विभिन्न परीक्षाओं में उम्मीदवारों की नकल करने के लिए बड़ी रकम देने का वादा किया था। सिंह के अनुसार, कुमार ने पहले ही दो अन्य परीक्षाओं में अलग-अलग उम्मीदवारों के लिए पाठक का इस्तेमाल किया था।

उन्होंने बताया कि हाल ही में सीबीएसई परीक्षा के लिए प्रणव ने आयुष को गौतम पासवान की ओर से परीक्षा देने के लिए 3 लाख रुपये की पेशकश की थी। वह पाठक को देहरादून लेकर आया, उसे एडमिट कार्ड दिया और ऑटो-रिक्शा में परीक्षा केंद्र भेजा। पाठक के बयान के आधार पर पुलिस ने कौलागढ़ रोड के पास कुमार को ट्रैक किया और गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने एक लाख रुपये नकद, तीन मोबाइल फोन, फर्जी आईडी के तौर पर इस्तेमाल किया गया पैन कार्ड और एडमिट कार्ड जब्त किया। एसएसपी ने कहा कि पाठक ने पुलिस को बताया कि कुमार ने ऑनलाइन परीक्षा फॉर्म भरने से पहले उम्मीदवारों के साथ डील फिक्स की थी। उसने असली उम्मीदवार और नकल करने वाले दोनों की तस्वीरें एकत्र कीं और दोनों चेहरों को मिलाने के लिए एक मोबाइल ऐप का इस्तेमाल किया। उन्होंने फॉर्म जमा करते समय मॉर्फ्ड फोटो अपलोड की। उन्होंने परीक्षा के दौरान आईडी के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए इन तस्वीरों का इस्तेमाल करके फर्जी पैन कार्ड भी बनाए। उन्होंने कहा कि इस मामले में गौतम पासवान ने सीबीएसई अधीक्षक परीक्षा पास करने के लिए कुमार को 10 लाख रुपये देने पर सहमति जताई। उसने परीक्षा से पहले एक लाख रुपये नकद और 25,000 रुपये पेटीएम के जरिए दिए। सिंह के अनुसार, गौतम की नौकरी लगने के बाद कुमार को बाकी रकम मिलनी थी।

पुलिस को पता चला कि कुमार ने बिहार, झारखंड और केंद्र सरकार की परीक्षाओं के लिए 10 से 15 बार ऐसे नकलची बनाए थे। इनमें से कम से कम आठ से 10 उम्मीदवार सफल हुए और उन्हें नौकरी मिल गई। एसएसपी ने कहा कि सीबीएसई अधिकारियों ने इस बार परीक्षा केंद्र पर आधार से जुड़े बायोमेट्रिक सत्यापन के कारण नकलची का पता लगाने में कामयाबी हासिल की। ​​पिछले मामलों में, आरोपी पकड़े जाने से बच गए। सिंह ने कहा कि पुलिस फिलहाल तीसरे आरोपी पासवान की तलाश कर रही है, जो फरार है।

By devbhoomikelog.com

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