प्रयागराज में अतीक अहमद और उसके भाई की पुलिस सुरक्षा में हत्या की घटना की तर्ज पर हरिद्वार जिले के लक्सर में भी एक चौंकाने वाली वारदात सामने आई है। यहां मेरठ निवासी और 38 मुकदमों में आरोपी विनय त्यागी पर बदमाशों ने खुलेआम हमला कर दिया, जबकि मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी सिर्फ तमाशबीन बने रहे।
विनय त्यागी को 12 दिसंबर को रुड़की जेल से लक्सर कचहरी में पेशी के लिए लाया जा रहा था। पुलिस को पहले से ही उसके मेरठ के एक गैंग से अदावत की जानकारी थी। इसी कारण पांच सशस्त्र पुलिसकर्मियों को सुरक्षा में लगाया गया था। बावजूद इसके बदमाशों ने रास्ते में मौका पाकर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी और विनय त्यागी को घायल कर फरार हो गए।
बताया जा रहा है कि कचहरी परिसर में चौकसी के चलते बदमाशों ने रास्ते में ही हमला करने की योजना बनाई थी। घटना के समय दो पुलिसकर्मी सड़क जाम खुलवाने चले गए थे। इसी दौरान बदमाशों ने हमला किया और पुलिस के सामने पिस्टल लहराते हुए भाग निकले। पुलिसकर्मी हथियार हाथ में लेकर जड़वत खड़े रहे और न तो जवाबी फायरिंग की गई, न ही पीछा किया गया।
इस घटना ने रुड़की पुलिस की कार्यशैली और सुरक्षा इंतजामों पर फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई बार रुड़की क्षेत्र में पुलिस कस्टडी के दौरान अपराधियों को निशाना बनाया गया है।
वर्ष 2005 में बेलड़ी के पास पुलिस वाहन के सामने ट्रैक्टर लगाकर बदमाश एक आरोपी को छुड़ा ले गए थे और जाते-जाते पुलिस के हथियार भी लूट ले गए थे। 2016 में रामनगर कोर्ट परिसर में पेशी के दौरान गैंगस्टर देवपाल राणा की पुलिस कस्टडी में ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
हालांकि इतिहास में एक ऐसा दौर भी रहा है जब पुलिस ने सख्ती दिखाई थी। वर्ष 2001 में पुरानी रुड़की कचहरी में एक पुलिसकर्मी ने थ्री नॉट थ्री राइफल से भाग रहे बदमाशों पर फायरिंग कर तीन अपराधियों को ढेर कर दिया था।
इसके अलावा 2014 में रुड़की उपकारागार के बाहर कुख्यात अपराधियों चीनू पंडित और सुनील राठी गैंग के बीच हुई गैंगवार ने भी पुलिस सुरक्षा की पोल खोल दी थी।
ताजा घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पुलिस के हाथों में हथियार सिर्फ दिखावे तक सीमित रह गए हैं और अपराधियों के हौसले पुलिस से आगे निकल चुके हैं।
