वैज्ञानिक और किसान पौष्टिक खाद्यान्न उत्पादन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। कृषि विज्ञान कांग्रेस में उन्नत तकनीकों और नवाचारों के मेल से एक नई सोच पैदा होगी और किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान निकलेगा। यह बात शनिवार को जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (जीबीपीयूएटी) में तीन दिवसीय 17वीं कृषि विज्ञान कांग्रेस के समापन पर बोलते हुए नैनीताल-उधमसिंह नगर के सांसद अजय भट्ट ने कही।
उन्होंने हरित क्रांति की जन्मस्थली पर कांग्रेस के सफल आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति मनमोहन सिंह चौहान की सराहना की, जिसमें न केवल देश बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में आयोजित विभिन्न सत्रों, कार्यशालाओं और सेमिनारों के माध्यम से प्रतिभागियों को नई तकनीकों और नवाचारों का ज्ञान प्राप्त हुआ है। भट्ट ने कार्यक्रम के दौरान विभिन्न संस्थानों द्वारा 65 विद्यार्थियों के चयन पर प्रसन्नता व्यक्त की और आशा व्यक्त की कि भविष्य में भी इस तरह का आयोजन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों और किसानों के बीच समन्वय के कारण आज भारत खाद्यान्न के क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भर है बल्कि दूसरे देशों को निर्यात करने की स्थिति में है।
सभा को संबोधित करते हुए, चौहान ने 16 देशों के भाग लेने वाले वैज्ञानिकों और राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को कार्यक्रम के आयोजन में उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
पद्म श्री प्राप्तकर्ता बीएस ढिल्लों ने कृषि अनुसंधान और क्षेत्रीय अनुप्रयोगों के बीच अभिसरण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में सही मायने में बदलाव के लिए अनुसंधान संस्थानों और किसानों के बीच की खाई को पाटना जरूरी है। उन्होंने जलवायु-लचीली कृषि के महत्व पर भी जोर दिया और मिट्टी के क्षरण, पानी की कमी और फसल उत्पादकता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया।
अकादमी के उपाध्यक्ष पीके जोशी ने कहा कि GBPUAT ने इस सम्मेलन में 3,000 प्रतिभागियों, अधिकतम तकनीकी सत्रों, संगोष्ठियों, पैनल चर्चाओं और बड़ी संख्या में छात्रों की भागीदारी के साथ नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।