उत्तराखंड में सर्दियों के पर्यटन को नई पहचान देने के लिए राज्य सरकार ‘घाम तापो-नींबू सानो’ थीम पर माल्टा-नींबू महोत्सव की श्रृंखला शुरू करने जा रही है। इस पहल का उद्देश्य पर्यटकों को पहाड़ों की जीवंत संस्कृति, सामाजिक परंपराओं और स्थानीय स्वाद से जोड़ना है।
इस अनोखे आयोजन में पर्यटक पहाड़ों की गुनगुनी धूप में बैठकर सने हुए माल्टा और गलगल (पहाड़ी नींबू) का स्वाद लेंगे—जो केवल व्यंजन नहीं, बल्कि पहाड़ी जीवनशैली की पहचान है।
देहरादून से होगी शुरुआत
माल्टा-नींबू महोत्सव का पहला आयोजन तीन जनवरी को देहरादून के सर्किट हाउस में प्रस्तावित है। कार्यक्रम में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री और शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। इसके बाद राज्य के विभिन्न जिलों में भी ऐसे महोत्सव आयोजित किए जाएंगे।
पीएम मोदी के संदेश से मिली प्रेरणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष मार्च में गंगोत्री धाम के शीतकालीन गद्दीस्थल मुखबा के दौरे के दौरान उत्तराखंड में सर्दियों में ‘घाम तापो’ पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर दिया था। अब राज्य सरकार इसमें स्थानीय संस्कृति का स्वाद भी जोड़ रही है।
सना हुआ नींबू: स्वाद के साथ परंपरा
पहाड़ों में सर्दियों में धूप सेंकना सामूहिक सामाजिक गतिविधि है। इसी दौरान माल्टा और गलगल को छीलकर उसमें गुड़ या चीनी, दही और भंगजीरा नमक मिलाकर तैयार किया जाता है सना हुआ नींबू।
यह परंपरा पहाड़ी समाज में संवाद, आत्मीयता और सामूहिकता का प्रतीक मानी जाती है।
सेहत के लिए भी फायदेमंद
पहाड़ी नींबू विटामिन-C का समृद्ध स्रोत है, जो सर्दियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।
दही पाचन सुधारता है, गुड़-चीनी ऊर्जा देते हैं और भंगजीरा शरीर को ऊष्मा प्रदान करता है।
संस्कृति से जुड़ेंगे सैलानी
घाम तापते हुए सने नींबू का स्वाद लेने से पर्यटक केवल स्थानीय भोजन ही नहीं चखेंगे, बल्कि पहाड़ की जीवनशैली, मौसम और संस्कृति से भी जुड़ेंगे।
होम-स्टे, कैफे और पर्यटन गतिविधियों के माध्यम से इसे लोकल फूड एक्सपीरियंस के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
माल्टा-नींबू की बिक्री भी होगी
महोत्सव के दौरान माल्टा और अन्य नींबू वर्गीय फलों की बिक्री भी की जाएगी, जिससे स्थानीय किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।
