उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने म्यांमार से जुड़े साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क को संचालित करने के आरोप में शनिवार को देहरादून में दो लोगों को गिरफ्तार किया। आरोपियों की पहचान उधम सिंह नगर जिले के निवासी हरजिंदर सिंह और संदीप सिंह के रूप में हुई। एसटीएफ की देहरादून साइबर क्राइम यूनिट के पुलिस उपाधीक्षक अंकुश मिश्रा ने बताया कि केंद्रीय अधिकारियों ने हाल ही में मार्च 2025 के पहले सप्ताह में म्यांमार से 540 भारतीय नागरिकों को वापस लाया है। इनमें 22 उत्तराखंड के हैं। इसके बाद एसटीएफ के एसएसपी नवनीत सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) के साथ काम कर रही टीम ने उत्तराखंड से जुड़ी साइबर आपराधिक गतिविधियों की जानकारी जुटाई। उन्होंने बताया कि खुफिया सूचनाओं के आधार पर एसटीएफ की टीम ने 22 मार्च को देहरादून के थानो रोड स्थित जिला पंचायत टोल पोस्ट के पास से दो लोगों को गिरफ्तार किया। मिश्रा ने बताया कि पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि वे टेलीग्राम एप के जरिए साइबर अपराधियों के संपर्क में आए थे। कथित तौर पर उन्हें कई बैंकों में विभिन्न व्यावसायिक नामों से चालू खाते खोलने के निर्देश दिए गए थे। इन खातों को खोलने के बाद उन्होंने चेक बुक, पासबुक, इंटरनेट बैंकिंग क्रेडेंशियल, डेबिट कार्ड और ओटीपी से जुड़े मोबाइल नंबर समेत संबंधित दस्तावेज एकत्र किए। फिर इन खातों को एक एप के जरिए साइबर अपराधियों से जोड़ा गया और दूसरे एप का इस्तेमाल कर ओटीपी को फॉरवर्ड किया गया। मिश्रा ने बताया कि इन खातों का इस्तेमाल भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर धोखाधड़ी से जुड़े वित्तीय लेनदेन के लिए किया गया। यह पैसा उनके द्वारा बनाए गए विभिन्न खातों में जमा किया गया और नकद के रूप में निकाला गया। डीएसपी ने दावा किया कि उन्होंने खुलासा किया कि पिछले साल उन्होंने लगभग 1.2 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था, जिसमें से 25 लाख रुपये अकेले मार्च 2025 में प्राप्त हुए थे। यह भी पता चला कि संदीप कॉरपोरेट खाते खोलने में माहिर था।
मिश्रा ने बताया कि उनके कौशल के कारण उन्हें 2024 के मध्य में अन्य साइबर अपराधियों को प्रशिक्षित करने के लिए मलेशिया आमंत्रित किया गया था। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन में शामिल अन्य व्यक्तियों और वित्तीय नेटवर्क का पता लगाने के लिए आगे की जांच चल रही है।