रामनगर में एक महिला ने अपने पति, ससुर और दो देवरों पर तीन तलाक देने और दुष्कर्म करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता ने बताया कि शादी के बाद से ही ससुराल वाले दहेज के लिए उसे प्रताड़ित कर रहे थे। रामनगर कोतवाली में शिकायत दर्ज कराने के बाद पुलिस ने पति, ससुर, दो देवरों और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पीड़िता का छह माह का बच्चा भी है, जो इस त्रासदी का मूक साक्षी है।
पीड़िता की आपबीती
रामनगर के समीपवर्ती गांव की रहने वाली महिला ने पुलिस को बताया कि उसका विवाह फरवरी 2024 में उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के टांडा, गज्जूपुरा मोहल्ले के एक व्यक्ति के साथ मुस्लिम रीति-रिवाज से हुआ था। शादी में साढ़े तीन लाख रुपये नकद दहेज के रूप में दिए गए थे। इसके बावजूद ससुराल वाले और दहेज की मांग को लेकर उसे लगातार परेशान करते रहे। उत्पीड़न तब और बढ़ गया, जब वह उनकी मांगें पूरी नहीं कर सकी।
महिला के अनुसार, 5 सितंबर 2025 की रात को उसके पति ने उसे तीन तलाक दे दिया और मारपीट की। इसके बाद उसे बंधक बनाकर रखा गया। उसी रात करीब दो बजे पति ने उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया। इसके बाद ससुर, दो देवरों और एक अज्ञात व्यक्ति ने भी उसका यौन शोषण किया। पीड़िता ने यह भी खुलासा किया कि एक महीने पहले उसके नंदोई ने भी उसके साथ दुष्कर्म किया था, लेकिन शिकायत करने पर उसे डांटकर चुप करा दिया गया।
ससुराल से भागकर मायके पहुंची
लंबे समय तक ससुराल में उत्पीड़न और यौन शोषण सहने के बाद, महिला किसी तरह ससुरालियों के चंगुल से निकलकर अपने मायके रामनगर पहुंची। वहां उसने कोतवाली में अपनी आपबीती सुनाई और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
पुलिस ने शुरू की जांच
रामनगर कोतवाली के प्रभारी अरुण सैनी ने बताया कि पीड़िता की शिकायत के आधार पर पति, ससुर, दो देवरों और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ तीन तलाक, दुष्कर्म और दहेज उत्पीड़न की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है और आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने की प्रक्रिया शुरू की है।
सामाजिक और कानूनी पहलू
इस मामले ने दहेज उत्पीड़न और तीन तलाक जैसे सामाजिक मुद्दों पर एक बार फिर ध्यान खींचा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मामलों में त्वरित और कठोर कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता की भी जरूरत है। पीड़िता के छह माह के बच्चे को देखते हुए, प्रशासन और सामाजिक संगठनों से मांग की जा रही है कि उसे और उसके बच्चे को उचित सहायता और सुरक्षा प्रदान की जाए।
पुलिस ने आश्वासन दिया है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच की जाएगी और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। यह मामला समाज में महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा और उत्पीड़न को उजागर करता है, जिसके खिलाफ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।