हाई ब्लड शुगर (High Blood Sugar) को अक्सर लोग किडनी और दिल की बीमारियों से जोड़कर देखते हैं, लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक यह आपके दिमाग (Brain) के लिए भी बेहद खतरनाक हो सकता है।
लगातार बढ़ा हुआ ब्लड शुगर न सिर्फ आपकी याददाश्त कमजोर करता है, बल्कि दिमाग की नसों को भी धीरे-धीरे डैमेज करने लगता है — और यह असर बेहद चुपचाप होता है।
🔹 दिमाग को कैसे करता है नुकसान?
पटियाला के मणिपाल हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. गुरप्रीत सिंह डांग के अनुसार,
“जब ब्लड शुगर लंबे समय तक उच्च स्तर पर बना रहता है, तो यह शरीर की नसों (Nerves) पर सीधा असर डालता है।
यह असर दिमाग तक पहुंचने वाले ब्लड फ्लो और ऑक्सीजन सप्लाई को बाधित कर देता है, जिससे मेमोरी लॉस और न्यूरोलॉजिकल डैमेज हो सकता है।”
उन्होंने बताया कि ग्लूकोज शरीर के लिए एनर्जी का स्रोत है, लेकिन जब यह लंबे समय तक अधिक मात्रा में रहता है,
तो यह दिमाग को पोषण देने वाली नसों को नुकसान पहुंचाता है।
इस स्थिति को डायबिटिक न्यूरोपैथी (Diabetic Neuropathy) कहा जाता है।
समय रहते कंट्रोल न करने पर यह ब्रेन सेल्स की कार्यक्षमता कम कर देता है, जिससे याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होती है।
⚠️ हाई ब्लड शुगर से ब्रेन डैमेज के लक्षण:
- ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत
- छोटी-छोटी बातें भूल जाना
- नींद पूरी होने के बाद भी थकान महसूस होना
- सिर में भारीपन या चक्कर आना
- मानसिक सुस्ती या मूड स्विंग्स
🩺 डॉक्टर ने बताए दिमाग को बचाने के 5 उपाय:
1. ब्लड शुगर को नियमित मॉनिटर करें
हर 15–20 दिन में शुगर लेवल की जांच करें। फास्टिंग और पोस्ट-मीली शुगर दोनों चेक कराते रहें।
2. रोजाना 30 मिनट की वॉक करें
हल्की वॉक या योग करने से इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है और ब्लड फ्लो बेहतर होता है।
3. मीठा और प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएं
बाजार के मीठे पदार्थ, कोल्ड ड्रिंक और मैदे से बने स्नैक्स ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ाते हैं।
4. पर्याप्त नींद और तनाव नियंत्रण रखें
तनाव (Stress) और नींद की कमी शुगर लेवल को अस्थिर करती है और मानसिक थकान बढ़ाती है।
5. नियमित मेडिकल चेकअप कराएं
साल में कम से कम दो बार ब्लड शुगर, लिपिड प्रोफाइल, और न्यूरोलॉजिकल हेल्थ की जांच जरूर कराएं।
🧩 निष्कर्ष:
हाई ब्लड शुगर सिर्फ किडनी और दिल को ही नहीं, बल्कि दिमाग को भी गहराई से प्रभावित कर सकता है।
यह धीरे-धीरे ब्रेन सेल्स को डैमेज करता है, जिससे याददाश्त कमजोर होती है और मानसिक कार्यक्षमता घटती जाती है।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर समय रहते नियंत्रण और जीवनशैली में बदलाव कर लिए जाएं,
तो इससे बचाव पूरी तरह संभव है।
