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कत्यूरी जनमिलन और कार्तिकेयपुर राजवंश संगोष्ठी में कुमाऊं- गढ़वाल से पहुंचे प्रतिनिधी

राजमाता जिया रानी को सम्मान दिलाने और नंदा राजजात में कत्यूरी ध्वज शामिल करने की मांग तेज: उत्तराखंड के प्राचीन कत्यूरी और कार्तिकेयपुर राजवंश के गौरव को पुनर्जनन देने के लिए बीते दो दिनों में दो महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित हुए। इनमें कत्यूरी समाज ने नंदा राजजात यात्रा में अपना ध्वज शामिल करने, राजमाता जिया रानी को उचित सम्मान दिलाने, रानी बाग को मानस खंड मंदिर श्रृंखला में शामिल करने और जमरानी बांध का नाम जिया रानी बांध करने जैसी ऐतिहासिक मांगें तेज की हैं।

टिहरी दरबार के कुंवर भवानी प्रताप सिंह पवार ने हल्द्वानी में आयोजित कत्यूरी जनमिलन कार्यक्रम में कहा कि 12 साल में निकलने वाली नंदा राजजात यात्रा की शुरुआत सातवीं शताब्दी में आदि बद्री के चांद गढ़ी से कत्यूरी राजाओं ने ही की थी। फिर भी आज तक इस यात्रा में कत्यूरी समाज का कोई ध्वज शामिल नहीं होता, जबकि चंद्र वंश का ध्वज जरूर होता है।
उन्होंने कहा, “अगली यात्रा में कत्यूरी समाज के लोग अपना ध्वज लेकर अवश्य मौजूद रहें। यह हमारा ऐतिहासिक अधिकार है।”
कुंवर भवानी प्रताप सिंह ने यह भी बताया कि परमार वंश के संस्थापक महाराजा कनकपाल कत्यूरी वंश के दामाद थे और संभवतः उन्होंने चांदगढ़ी के सिंहासन पर बैठने के बाद कत्यूरी वंश का सौनक गोत्र दान में प्राप्त किया।
उन्होंने एक नई राजजात यात्रा का प्रस्ताव रखा—राजमाता जिया रानी के नाम पर—जो मानीला, जोशीमठ से शुरू होकर सैणमानूर, लखनपुर वैराठ, बैजनाथ, अस्कोट होते हुए रानी बाग चित्रशाला घाट पर समापन होगी।
पूर्व सांसद डॉक्टर महेंद्र सिंह पाल ने राज्य के सभी निवासियों और बुद्धिजीवियों से विचार मांगे और 13 जनवरी 2026 (माघ गेते/मकर संक्रांति पूर्व संध्या) को सांस्कृतिक कार्यक्रम व सहयोग के लिए एकजुट होकर कार्य करने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि कुमाऊं-गढ़वाल के सभी नागर शैली के मंदिर कत्यूरी राजाओं द्वारा ही बनाए गए हैं।

कार्तिकेयपुर राजवंश के गौरवशाली इतिहास पर आयोजित संगोष्ठी में कत्यूरी सूर्यवंशी पाल सेवा संस्थान के संस्थापक महंथ सुरज दास सूर्यवंशी ने सभी अतिथियों को रामनामी चादर ओढ़ाकर सम्मानित किया।
मुख्य अतिथियों में पूर्व सांसद महेंद्र सिंह पाल, पुरुषोत्तम सिंह मनराल, चंदन सिंह मनराल, रमेश मनराल, टिहरी गढ़वाल परमार वंश के युवराज कुंवर भानु प्रताप सिंह, चंद वंश से कोविद कुमार चंद आदि शामिल रहे।
विशेषज्ञ वक्ता के रूप में प्रोफेसर छाया शुक्ला, सुरेश टम्टा, अखिलेश बहादुर पाल (बस्ती) उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का आयोजन सुभाष काण्डपाल और सुरेश सुयाल ने किया।
संगोष्ठी का मुख्य विषय रहा—राजमाता जिया रानी को उचित सम्मान दिलाना। प्रमुख मांगें:

  • रानी बाग को मानस खंड मंदिर श्रृंखला में शामिल किया जाए।
  • कार्तिकेयपुर राजवंश के अतिरिक्त इतिहास को उत्तराखंड के सभी पाठ्यक्रमों में अनिवार्य रूप से जोड़ा जाए।
  • जमरानी बांध का नाम जिया रानी बांध रखा जाए।

कार्यक्रम में उपस्थित समाजसेवियों, इतिहासकारों और युवाओं ने एकमत होकर कहा कि कत्यूरी और कार्तिकेयपुर राजवंश के योगदान को अब तक नजरअंदाज किया गया है और राज्य की ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण और सम्मान जरूरी हैI राजमाता जिया रानी और कत्यूरी राजाओं के ऐतिहासिक अधिकारों को मान्यता दिलाने के लिए सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की गई।
यह दो दिवसीय प्रयास उत्तराखंड के प्राचीन राजवंशों की पहचान और गौरव को पुनर्जनन देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। सभी ने एक सुर में पुनः इस दिशा में बैठक और कार्य करने की बात कही है I

By devbhoomikelog.com

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