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कानून के रक्षक सवालों के घेरे में: उत्तराखंड पुलिस में गहराता भ्रष्टाचार

उत्तराखंड पुलिस विभाग पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा चूक, जांच में देरी, भर्ती घोटाले, भ्रष्टाचार और कस्टडी में हमलों जैसी घटनाओं से घिरा हुआ है। ये मामले पुलिस की विश्वसनीयता और जनता के विश्वास को प्रभावित कर रहे हैं। सरकार ने कुछ कार्रवाइयां की हैं, लेकिन व्यापक सुधारों की जरूरत है। नीचे प्रमुख मामलों का विस्तृत विवरण दिया गया है।

प्रमुख मामले और विस्तृत अपडेट

  1. रिलायंस ज्वेल्स ज्वेलरी लूट (9 नवंबर 2023, देहरादून)

    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के देहरादून दौरे और राज्य स्थापना दिवस समारोह के दौरान सुबह करीब 10 बजे राजपुर रोड स्थित रिलायंस ज्वेल्स शोरूम में 5 हथियारबंद बदमाश ग्राहक बनकर घुसे। उन्होंने कर्मचारियों को बंदूक की नोक पर बंधक बनाया, शोरूम में रखी 10-20 करोड़ रुपये की ज्वेलरी (हीरे, सोना आदि) लूटी और कुछ मिनटों में बाइक पर फरार हो गए। घटना पुलिस मुख्यालय से मात्र 2-3 किलोमीटर दूर हुई, लेकिन अधिकांश पुलिस बल VVIP ड्यूटी पर होने से तत्काल प्रतिक्रिया नहीं हुई। CCTV फुटेज में बदमाश स्पष्ट दिखे, लेकिन शुरुआती जांच में देरी हुई।
    अपडेट (2025 तक): STF और पुलिस ने बिहार-हरियाणा आधारित गैंग के 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिसमें मास्टरमाइंड शशांक सिंह और अंतिम आरोपी राहुल उर्फ चौंडा (जनवरी 2025 में गिरफ्तार) शामिल। हालांकि, लूटी गई ज्वेलरी का बड़ा हिस्सा अभी तक बरामद नहीं हुआ। यह सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर चूक का प्रतीक माना जाता है।
  2. गैंगस्टर विनय त्यागी पर पुलिस कस्टडी में हमला (24 दिसंबर 2025, हरिद्वार/लक्सर)

    57 वर्षीय कुख्यात गैंगस्टर विनय त्यागी (60+ आपराधिक मामले, हत्या, फिरौती, गैंगवार सहित, कई राज्यों में नेटवर्क) को रुड़की जेल से लक्सर कोर्ट पेशी के लिए पुलिस एस्कॉर्ट में ले जाया जा रहा था। लक्सर फ्लाईओवर पर ट्रैफिक जाम का फायदा उठाकर दो बाइक सवार हमलावरों ने दिनदहाड़े करीब 10-15 राउंड फायरिंग की। त्यागी को गर्दन, छाती और बाजू में गोली लगी, जबकि एस्कॉर्ट के दो कांस्टेबल भी घायल हुए। त्यागी को तुरंत AIIMS ऋषिकेश में भर्ती किया गया, जहां उनकी हालत गंभीर रही।
    अपडेट: 25-26 दिसंबर तक दोनों हमलावर (सनी यादव और अजय कुमार, पूर्व में त्यागी गैंग से जुड़े) गिरफ्तार, हथियार और बाइक बरामद। जांच में सुरक्षा प्रोटोकॉल की लापरवाही पाए जाने पर 3 पुलिसकर्मी (एक सब-इंस्पेक्टर सहित) निलंबित। ADGP लॉ एंड ऑर्डर ने SIT गठित की। यह पुलिस कस्टडी में कैदी सुरक्षा की बड़ी विफलता है।
  3. अंकिता भंडारी हत्याकांड (सितंबर 2022, ऋषिकेश)
    19 वर्षीय रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी यमकेश्वर रिजॉर्ट में काम करती थीं। गुमशुदगी की शिकायत उनके परिवार ने राजस्व पुलिस (पटवारी) को दी, लेकिन FIR दर्ज करने में 3-6 दिनों की देरी हुई। इस दौरान आरोपी पुलकित आर्य (रिजॉर्ट मालिक, पूर्व BJP नेता का बेटा) और सहयोगियों ने सबूत नष्ट कर दिए। बाद में नियमित पुलिस ने जांच ली, लेकिन देरी से कई महत्वपूर्ण सबूत (CCTV, फोरेंसिक) गायब हो गए।
    अपडेट: कोर्ट ने मई 2025 में तीन आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह मामला राजस्व पुलिस प्रणाली की गंभीर कमियों को उजागर करता है।
  4. महंत मोहनदास गायब होने का मामला (2017, हरिद्वार)
    अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत मोहनदास जनवरी 2017 में हरिद्वार से गायब हो गए। परिवार की शिकायत के बावजूद राज्य पुलिस ने 8 वर्षों तक कोई ठोस जांच नहीं की – न CCTV चेक, न संदिग्धों से पूछताछ।
    अपडेट: अक्टूबर 2025 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पुलिस की “पूर्ण विफलता” बताते हुए जांच CBI को सौंपी। मामला अभी CBI के पास लंबित।
  5. भर्ती घोटाले और पेपर लीक (2021-2025)
    UKSSSC की विभिन्न भर्तियों (पटवारी, VPDO, ग्रेजुएट लेवल आदि) में संगठित गिरोह द्वारा पेपर लीक। 21 सितंबर 2025 की ग्रेजुएट लेवल परीक्षा लीक में उम्मीदवारों से 12-15 लाख रुपये लेकर पास कराने के ऑडियो और चैट सबूत मिले। पहले के मामलों में कॉपी माफिया ने लाखों कमाए।
    अपडेट: STF ने 100+ गिरफ्तारियां कीं, नवंबर 2025 में CBI ने जांच में असिस्टेंट प्रोफेसर सहित कई को पकड़ा। विरोध प्रदर्शनों के बाद SIT गठित। डिजिटल सुधारों से लीक में कमी आई, लेकिन पारदर्शिता की कमी बनी हुई है।
  6. फर्जी POCSO केस (देहरादून, रायपुर थाना)
    रायपुर थाने में पुलिस ने बिना ठोस सबूत के POCSO एक्ट के तहत फर्जी FIR दर्ज की। आरोपी को गिरफ्तार किया गया, लेकिन कोर्ट में जांच के अभाव में वह निर्दोष साबित हुआ। यह POCSO एक्ट के दुरुपयोग का उदाहरण है।
    अपडेट: विशिष्ट मामले में विभागीय जांच लंबित, लेकिन राज्य में ऐसे फर्जी मामलों की शिकायतें बढ़ी हैं।
  7. भ्रष्टाचार के मामले और पुलिसकर्मियों की फिटनेस/रिटायरमेंट आयु का मुद्दा

    2022-2025 में विजिलेंस ने 92+ पुलिसकर्मियों को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। कई मामलों में थाने में शिकायत न दर्ज करने या केस सेटल करने के बदले रिश्वत। फिटनेस मुद्दा: लंबी ड्यूटी, तनाव और अनियमित जीवनशैली से कई पुलिसकर्मी मोटापा, डायबिटीज और हृदय रोग से ग्रस्त। फिटनेस की कमी से फील्ड ऑपरेशंस प्रभावित। वर्तमान रिटायरमेंट आयु 60 वर्ष है, लेकिन विशेषज्ञ 55 वर्ष करने या अनफिट कर्मियों के लिए अनिवार्य फिटनेस टेस्ट/VRS की सिफारिश करते हैं।
    अपडेट: जीरो टॉलरेंस नीति से गिरफ्तारियां बढ़ीं, लेकिन फिटनेस प्रोग्राम सीमित।

पुलिस सुधारों के लिए बेस्ट प्रैक्टिसेस, जवाबदेही और जिम्मेदारी निर्धारण के उपाय

उत्तराखंड पुलिस में सिस्टमिक सुधारों के लिए निम्नलिखित बेस्ट प्रैक्टिसेस और तंत्र अपनाने जरूरी हैं:

1. जवाबदेही और जिम्मेदारी निर्धारण (Accountability Mechanisms)

  • स्वतंत्र पुलिस शिकायत प्राधिकरण (Police Complaints Authority): सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह निर्देश (2006) के अनुसार राज्य और जिला स्तर पर PCA गठित करें। गंभीर शिकायतों (कस्टोडियल डेथ, लापरवाही, भ्रष्टाचार) की स्वतंत्र जांच अनिवार्य। केरल और पंजाब में यह सफल रहा।
  • विभागीय जांच में समय-सीमा: किसी घटना के 90 दिनों में जांच पूरी और दोषियों पर कार्रवाई (निलंबन/बर्खास्तगी) अनिवार्य।
  • परफॉर्मेंस ऑडिट और KPI: प्रत्येक थाने/SHO के लिए वार्षिक KPI (FIR दर्ज करने की गति, केस सॉल्व रेट, जन शिकायत निस्तारण) निर्धारित करें। कम परफॉर्मेंस पर ट्रांसफर/डिमोशन।
  • वीडियो रिकॉर्डिंग और बॉडी कैमरा: गिरफ्तारी, पूछताछ और कैदी ट्रांसपोर्ट में अनिवार्य। अमेरिका और ब्रिटेन में इससे दुरुपयोग 60-70% कम हुआ।

2. पारदर्शिता और जन-उत्तरदायी पुलिसिंग

  • कम्युनिटी पुलिसिंग मॉडल: केरल की ‘जनमैत्री पुलिसिंग’ अपनाएं – पुलिस और स्थानीय समुदाय की संयुक्त मीटिंग, बीट पुलिसिंग और लोकल इश्यू सॉल्विंग। इससे जनता का विश्वास 85% तक बढ़ा।
  • ऑनलाइन पोर्टल और ऐप: CCTNS को मजबूत करें; हर FIR, शिकायत और स्टेटस ऑनलाइन उपलब्ध। CM डैशबोर्ड पर रियल-टाइम मॉनिटरिंग।
  • महिला और कमजोर वर्ग हेल्पडेस्क: सभी थानों में 33% महिला स्टाफ और विशेष डेस्क।

3. भर्ती, ट्रेनिंग और फिटनेस सुधार

  • पूर्ण डिजिटल भर्ती: उत्तर प्रदेश मॉडल – बायोमेट्रिक, AI प्रॉक्टरिंग और CCTV। पेपर लीक शून्य।
  • नियमित ट्रेनिंग और फिटनेस: वार्षिक फिटनेस टेस्ट (BMI, दौड़, मेडिकल) अनिवार्य। अनफिट कर्मियों के लिए VRS या लाइट ड्यूटी। सिंगापुर पुलिस की तरह मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन और स्ट्रेस मैनेजमेंट ट्रेनिंग।
  • राजस्व पुलिस प्रणाली तत्काल समाप्त: नियमित पुलिस को सभी क्षेत्र सौंपें।

4. तकनीकी और ऑपरेशनल बेस्ट प्रैक्टिसेस

  • आधुनिक तकनीक विस्तार: सभी थानों में CCTV (सुप्रीम कोर्ट मंडेट), ड्रोन सर्विलांस, फोरेंसिक लैब और साइबर सेल मजबूत।
  • कैदी सुरक्षा प्रोटोकॉल: हाई-रिस्क कैदियों के ट्रांसपोर्ट में GPS ट्रैकिंग वेहिकल, सशस्त्र एस्कॉर्ट और जैमर।
  • स्टेट सिक्योरिटी कमीशन: राजनीतिक हस्तक्षेप रोकने के लिए मजबूत करें (प्रकाश सिंह निर्देश)।

सफल उदाहरण

  • केरल: जनमैत्री + PCA से देश में सबसे अधिक जन-विश्वास (~85%)।
  • राजस्थान: सख्त जवाबदेही से पुलिस विश्वास 40% से 70% तक बढ़ा।
  • सिंगापुर: जीरो टॉलरेंस + पारदर्शी भर्ती से विश्व की सबसे कम अपराध दर।
  • उत्तर प्रदेश: डिजिटल भर्ती + औचक जांच से पेपर लीक में 80% कमी।

उत्तराखंड पुलिस की हालिया विफलताएं सिस्टमिक समस्याओं को दर्शाती हैं। प्रकाश सिंह निर्देशों की पूर्ण क्रियान्वयन, बेस्ट प्रैक्टिसेस अपनाकर और सख्त जवाबदेही तंत्र स्थापित करके ही जनता का विश्वास बहाल हो सकता है। देरी हुई तो कानून-व्यवस्था पर गहरा संकट आएगा।

शिकायत के लिए: 112 (आपातकाल) या 1064 (विजिलेंस हेल्पलाइन) पर संपर्क करें।

पुलिस सुधार ही सुरक्षित और न्यायपूर्ण उत्तराखंड की नींव है।

By devbhoomikelog.com

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