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दिवाली की तारीख पर असमंजस, पंडितों ने दी स्पष्ट जानकारी

इस बार दीपावली को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। हर साल की तरह इस बार भी अमावस्या तिथि और प्रदोष काल को लेकर विद्वानों में मतभेद देखने को मिल रहा है। कोई 20 अक्तूबर को दीपावली मना रहा है, तो कुछ विद्वान 21 अक्तूबर को ही पूजन का सही समय मान रहे हैं।


🌙 20 अक्तूबर को दीपावली मनाने का मत

आचार्य रमेश सेमवाल, अध्यक्ष उत्तराखंड ज्योतिष परिषद, का कहना है कि “सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में अमावस्या तिथि की रात लक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए। इस वर्ष 20 अक्तूबर को प्रदोष काल शाम 5:42 बजे से आरंभ हो रहा है और उस समय अमावस्या तिथि पूरी तरह व्याप्त है। 21 अक्तूबर को यह तिथि 5:55 बजे समाप्त हो जाएगी। इसलिए लक्ष्मी पूजा के लिए 20 अक्तूबर ही उचित तिथि है।”

इसी तरह आचार्य पवन पाठक का भी कहना है कि “उत्तराखंड में लक्ष्मी पूजन और महालक्ष्मी व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। 20 अक्तूबर को प्रदोष और अर्धरात्रि में अमावस्या दोनों का संयोग बन रहा है। पुराणों के अनुसार मां लक्ष्मी घनघोर रात्रि में ही आती हैं, इसलिए 20 अक्तूबर को दीपावली मनाना ही शास्त्रसम्मत है।”

आचार्य राजेश बेंजवाल, तंत्रकुल संस्थापक, ने बताया, “अमावस्या का प्रदोष काल में व्याप्त होना आवश्यक है। 21 अक्तूबर को प्रदोष काल मात्र 14 मिनट का है, जबकि धार्मिक दृष्टि से एक दंड यानी 24 मिनट की अवधि आवश्यक होती है। इस कारण से भी 20 अक्तूबर को दीपावली का पर्व मान्य है। कई पंचांगों में भी यही उल्लेखित है।”


🌟 21 अक्तूबर को दीपावली मनाने का मत

वहीं, आचार्य सौरभ डोभाल (श्री श्री आनंदमयी आश्रम, रायपुर) का कहना है कि “अमावस्या तिथि 20 अक्तूबर को दोपहर 3:44 बजे शुरू होगी। दीपावली का पर्व अमावस्या में ही मनाया जाता है और शास्त्रों के अनुसार उदय तिथि को ही शुभ माना गया है। इसलिए इस वर्ष दीपावली 21 अक्तूबर को मनाई जानी चाहिए।”


📿 क्षेत्रानुसार तिथि का अंतर

आचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल, उत्तराखंड ज्योतिष रत्न, के अनुसार, “धर्मशास्त्र ‘निर्णय सिंधु’ के अनुसार महालक्ष्मी पूजन एवं दीपोत्सव प्रदोष काल की अमावस्या तथा निशीथ काल में ही किए जाने चाहिए। 20 अक्तूबर को चतुर्दशी तिथि अपराह्न 3:45 बजे समाप्त हो रही है और उसके बाद अमावस्या 21 अक्तूबर की शाम 5:55 बजे तक रहेगी। अक्षांश और देशांतर के अंतर के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में 20 अक्तूबर को दीपावली मनाई जाएगी, जबकि गढ़वाल-कुमाऊं क्षेत्र सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 21 अक्तूबर को शाम 5:35 से 8:14 बजे तक प्रदोष काल में महालक्ष्मी पूजन करना शास्त्रसम्मत है।”


🪔 निष्कर्ष

इस वर्ष दीपावली की तारीख को लेकर विद्वानों में मतभेद स्पष्ट हैं।

  • जिनके क्षेत्र में अमावस्या प्रदोष काल में व्याप्त है, वे 20 अक्तूबर को दीपावली मना सकते हैं।
  • जबकि उदय तिथि को मानने वाले श्रद्धालु 21 अक्तूबर को लक्ष्मी पूजन करें।

दोनों ही मत धर्मशास्त्रों के अनुसार मान्य हैं — बस पूजा का समय अपने स्थानीय प्रदोष काल के अनुरूप चुनना ही सबसे उचित रहेगा।

By devbhoomikelog.com

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