(रिपोर्ट: देवभूमि उत्तराखंड की सेवा में)
उत्तरकाशी। 6 अगस्त, २०२५ – देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा ने एक बार फिर पहाड़ों की नाजुकता और मौसम की मार की भयावह तस्वीर पेश की है। बादल फटने और अचानक आई भीषण बाढ़ (Flash Flood) ने धराली और आसपास के गांवों में तबाही मचा दी, जिससे जान-माल का काफी नुकसान हुआ है।
घटना का विवरण:
गत सप्ताह अचानक हुए भारी बारिश और बादल फटने की घटना के कारण धराली नदी उफान पर आ गई। तेज बहाव ने नदी किनारे बने कई घरों, दुकानों और सड़कों को बहा दिया। कई परिवार बेघर हो गए हैं। स्थानीय प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं, लेकिन दुर्गम इलाका होने के कारण काम में दिक्कतें आ रही हैं। खबरों के अनुसार, कई लोग लापता हैं और संपत्ति का भारी नुकसान हुआ है।

देवभूमि के लोगों के लिए भविष्य की सतर्कता: सावधानी ही बचाव है
धराली की यह दुर्घटना हम सभी उत्तराखंडवासियों के लिए एक कड़ी चेतावनी है। हमारा प्रकृति से गहरा नाता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन और अंधाधुंध विकास ने खतरों को बढ़ा दिया है। भविष्य में ऐसी त्रासदी से बचने और कम नुकसान के लिए कुछ जरूरी सावधानियां बरतनी होंगी:
- मौसम चेतावनी को गंभीरता से लें: भारतीय मौसम विभाग (IMD) और स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी भारी बारिश, बादल फटने या बाढ़ की चेतावनियों पर तुरंत ध्यान दें। रेड अलर्ट या ऑरेंज अलर्ट को हल्के में न लें।
- नदी किनारे न बसें: पहाड़ी नदियों का स्वरूप अचानक बदल सकता है। नदियों के बाढ़ क्षेत्र (Flood Plains) या तटबंधों के बहुत करीब घर बनाने से बचें। पुराने और अस्थिर ढांचे, खासकर नदी किनारे, खतरनाक हो सकते हैं।
- आपातकालीन तैयारी: हमेशा एक छोटा आपातकालीन बैग (Emergency Kit) तैयार रखें। इसमें जरूरी दवाएं, पानी, सूखा खाना (बिस्कुट, चना), टॉर्च, रेडियो, जरूरी कागजात की कॉपी और कुछ नकदी शामिल हो। घर के सभी सदस्यों को पता होना चाहिए कि यह बैग कहां रखा है।
- सुरक्षित स्थानों की पहचान: अपने गांव/मोहल्ले में ऊंचे, मजबूत और सुरक्षित स्थानों (जैसे स्कूल, पंचायत भवन, ऊंची पहाड़ी) की पहले से ही पहचान कर लें। तुरंत खतरा महसूस होने पर इन स्थानों पर जाने की तैयारी रखें।
- सामुदायिक जागरूकता: ग्राम सभाओं में आपदा प्रबंधन पर चर्चा करें। स्थानीय युवाओं को प्राथमिक उपचार और बचाव के बुनियादी प्रशिक्षण दिलवाएं। पड़ोसियों के साथ मिलकर एक सहायता नेटवर्क बनाएं, खासकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए।
- संचार व्यवस्था: मोबाइल नेटवर्क गिरने की स्थिति के लिए तैयार रहें। बैटरी से चलने वाला एक छोटा रेडियो जरूर रखें। स्थानीय अधिकारियों और आपातकालीन सेवाओं (एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस) के नंबर हाथ में लिखकर या फोन में सेव करके रखें।
- वनों का संरक्षण: पेड़ पहाड़ों की जान हैं। वनों की कटाई रोकने और अधिक से अधिक पेड़ लगाने में सक्रिय भूमिका निभाएं। पेड़ मिट्टी के कटाव को रोकते हैं और बाढ़ की तीव्रता कम कर सकते हैं।
- अतिक्रमण न करें: नदियों के प्राकृतिक बहाव मार्ग में किसी भी तरह का अतिक्रमण (घर बनाना, दुकान लगाना) न करें। यह न सिर्फ आपदा को न्यौता देता है बल्कि पूरे इलाके के लिए खतरा बढ़ाता है।
- स्थानीय प्रशासन से संपर्क: अपने क्षेत्र में आपदा प्रबंधन योजना के बारे में जानकारी लें। किसी भी असामान्य गतिविधि (जैसे नदी में पानी का रंग/स्तर बदलना, पहाड़ से अधिक पानी आना या मलबा गिरना) की सूचना तुरंत प्रशासन को दें।
देवभूमिवासियों से अपील:
इसके साथ सामंजस्य से रहना हम सभी की जिम्मेदारी है। धराली की घटना से सीख लेते हुए आइए, अधिक सतर्क, तैयार और जागरूक बनें। छोटी-छोटी सावधानियां बड़ी त्रासदी को टाल सकती हैं। प्रकृति का सम्मान करें, उसकी चेतावनियों को नजरअंदाज न करें, और सुरक्षित रहें। जय देवभूमि!
