साइबर ठग ने एक युवती को उसके भाई को अधिवक्ता की हत्या का आरोपित बताकर उसे छोड़ने के एवज में 50 हजार रुपये ठग लिए। आरोपित ने खुद को सीबीआइ अधिकारी बताया। इससे घबराई युवती ने तत्काल उसके बताए बैंक खाते में रकम भेज दी। गनीमत रही कि ठगी का पता चलते ही युवती ने पुलिस से शिकायत कर दी।
ठगी का पता चलते ही पुलिस से शिकायत करने पर पीड़िता को वापस मिली रकम.आरोपित ने खुद को बताया था सीबीआइ अधिकारी, मांगे थे आठ लाख रुपये.साइबर ठग ने एक युवती से उसके भाई को अधिवक्ता की हत्या का आरोपित बता उसे छोड़ने के एवज में 50 हजार रुपये ठग लिए। आरोपित ने खुद को सीबीआइ अधिकारी बताया। इससे घबराई युवती ने तत्काल उसके बताए बैंक खाते में रकम भेज दी। गनीमत रही कि ठगी का पता चलते ही युवती ने पुलिस से शिकायत कर दी। साइबर सेल ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपित को भेजी गई धनराशि होल्ड कराकर पीड़िता को वापस दिला दी।
असल में आरोपित ने आठ लाख रुपये की मांग की थी और पीड़िता ने 50 हजार रुपये भेजने के बाद स्वजन से बात कर ली, जिससे पता चला कि भाई घर पर ही है। अब पीड़िता की शिकायत पर ज्वालापुर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है।
ज्वालापुर कोतवाली पुलिस ने अनुसार, मूल रूप से उदयपुर (राजस्थान) निवासी टीना त्रिपाठी यहां आर्यनगर चौक स्थित शिव विहार कालोनी में रहकर पढ़ाई कर रही हैं। टीना ने शुक्रवार को लिखित शिकायत देकर बताया कि छह जून को उनके मोबाइल पर अनजान नंबर से फोन आया।
फोन करने वाले शख्स ने खुद को सीबीआई इंस्पेक्टर राजेश मिश्रा बताते हुए कहा कि उनका भाई एक अधिवक्ता की हत्या में फंस गया है। टीना को विश्वास में लेने के लिए आरोपित ने वाट्सएप पर परिचय पत्र भी भेजा। टीना ने पुलिस को बताया कि इस बातचीत के दौरान फोन पर किसी को पीटने और चीखने की आवाज भी आ रही थी। इससे वह घबरा गईं।आरोपित ने कहा कि आठ लाख रुपये उसके बैंक खाते में भेजने पर उनके भाई को छोड़ दिया जाएगा। टीना ने आनन-फानन आरोपित के बताए अलग-अलग बैंक खातों में 50 हजार रुपये भेज दिए। इसी बीच उन्होंने उदयपुर में रह रहे पिता से फोन पर संपर्क किया तो मालूम चला कि भाई घर पर सकुशल है।
ज्वालापुर कोतवाली प्रभारी रमेश तनवार ने बताया कि पीड़िता के पिता ने तत्काल उदयपुर में पुलिस को घटना की जानकारी दी। उदयपुर पुलिस ने यहां की पुलिस से संपर्क किया।
घटना की जानकारी मिलते ही साइबर सेल सक्रिय हो गई और जिन बैंकों के खातों में धनराशि भेजी गई थी, उनसे संपर्क कर ट्रांजेक्शन रुकवा दिया। इस तरह पीड़िता को ठगी गई रकम वापस मिल गई। अब उसने लिखित शिकायत की है, जिसके आधार पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।