हरिद्वार से गंगाजल लेकर लौटे साढ़े चार करोड़ कांवड़ यात्रियों ने शहर और गंगा घाटों पर 10,000 मीट्रिक टन कूड़ा छोड़ दिया, जिससे गंदगी का अंबार लग गया। नगर निगम को इसकी सफाई के लिए कम से कम दो से तीन दिन लगेंगे, और इसके लिए व्यापक सफाई अभियान शुरू हो चुका है।
गंगा घाटों पर गंदगी का संकट
11 जुलाई से शुरू हुई कांवड़ यात्रा के दौरान, घाटों जैसे हरकी पैड़ी, मालवीय घाट, सुभाष घाट, और कनखल में प्लास्टिक बोतलें, पालीथिन, खाद्य पदार्थ, और जूते-चप्पल सड़कों पर बिखरे पड़े हैं। शौच के कारण कई क्षेत्रों में दुर्गंध फैल गई। बुधवार शाम गंगा आरती से पहले सुभाष घाट और बिरला घाट की आंशिक सफाई हुई, लेकिन गुरुवार तक सभी घाटों को साफ करने का लक्ष्य है।
सफाई में विशेष प्रयास
नगर आयुक्त नंदन कुमार के अनुसार, मेले में रोजाना 600-700 मीट्रिक टन कूड़ा निकला, जो 19 जुलाई से 1,000-1,200 मीट्रिक टन तक बढ़ गया, जबकि सामान्य दिनों में 250-300 मीट्रिक टन होता है। सफाई के लिए 1,000 अतिरिक्त कर्मचारी, चार नोडल अधिकारी, 11 मुख्य निरीक्षक, 15 ट्रैक्टर ट्रालियां, तीन लोडर, तीन टिपर, और आठ सीएनजी वाहन तैनात किए गए हैं। हरकी पैड़ी से भारी मात्रा में कूड़ा हटाया जा चुका है, और कार्य जारी है।
प्लास्टिक पर प्रतिबंध की अनदेखी
एनजीटी के प्लास्टिक प्रतिबंध के बावजूद, कांवड़ मेले में पालीथिन चटाइयां, कैन, और बरसातियां बिकती रहीं। रोड़ीबेलवाला और पंतद्वीप में अस्थायी दुकानों ने इस नियम की धज्जियां उड़ाई, लेकिन पुलिस कार्रवाई सीमित रही।
अंदरूनी क्षेत्रों में लचर व्यवस्था
शहर के भीतर ज्वालापुर रेलवे रोड और पीपलान मोहल्ला जैसे क्षेत्रों में दोपहर तक गंदगी जमा रही, जिससे सफाई व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। नगर निगम की टीम युद्धस्तर पर कूड़ा निस्तारण में जुटी है, ताकि शहर को जल्द साफ किया जा सके।