उत्तराखंड के हल्द्वानी स्थित वन विकास निगम (Van Vikas Nigam) में भ्रष्टाचार का एक गंभीर मामला सामने आया है। ईस्टर्न हल्द्वानी कार्यालय में चाय, मिठाई और अतिथि सत्कार के नाम पर काल्पनिक रेस्तरां से फर्जी बिल बनाकर लाखों रुपये की कथित ठगी की गई। तीन वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए इन फर्जी बिलों का खुलासा सतर्कता विभाग को मिली एक शिकायत के बाद हुआ।
वन विभाग के प्रधान सचिव आर.के. सुधांशु ने मामले की पुष्टि करते हुए निगम के प्रबंध निदेशक को तीनों अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करने और सख्त विभागीय कार्रवाई शुरू करने के निर्देश जारी किए हैं। स्थानीय लोगों में इस घोटाले को लेकर भारी आक्रोश है और वे सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।
कैसे हुआ घोटाला? ‘नेगी रेस्तरां’ का फर्जी खेल
चाय-मिठाई के बिल जिनके नाम पर दिखाए गए, वह हल्द्वानी के काला डूंगरी रोड पर स्थित कथित ‘नेगी रेस्तरां’ था—जो वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं था।
- तीनों अधिकारियों ने महीनों तक इस गैर-मौजूद दुकान से चाय, मिठाई व ताजगी सामग्री के बिल बनाए।
- इन बिलों की कुल राशि लाखों रुपये बताई जा रही है।
- शिकायत में कहा गया कि न तो रेस्तरां पंजीकृत है और न ही उस पते पर कोई दुकान मौजूद है।
खातों की ऑडिट के दौरान अनियमितताएं दिखीं, जिसके बाद विभाग ने जांच शुरू की।
शिकायत ने खोला राज—सतर्कता विभाग ने ली कार्रवाई
यह पूरा मामला एक अनाम शिकायतकर्ता की जानकारी पर सामने आया, जिसने खुद उक्त पते पर जाकर सत्यापन किया और पाया कि ‘नेगी रेस्तरां’ जैसी कोई दुकान है ही नहीं।
सतर्कता विभाग ने शिकायत को गंभीरता से लिया और फूड विभाग से सत्यापन कराया, जिसमें फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई। इसके बाद वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए।
जनता का गुस्सा—‘सरकारी पैसे पर चाय का घोटाला!’
हल्द्वानी के नागरिकों और सामाजिक संगठनों में भारी रोष है। कई लोग सरकार पर भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देने का आरोप लगा रहे हैं।
स्थानीय संगठनों का कहना है:
- “पर्यावरण की रक्षा करने वाले ही सरकारी खजाना लूट रहे हैं।”
- “छोटे घोटालों पर भी सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो बड़े मामले कैसे रुकेंगे?”
सोशल मीडिया पर #HaldwaniForestScam तेजी से ट्रेंड कर रहा है।
कानूनी कार्रवाई—मुकदमा दर्ज, लेकिन गिरफ्तारियां बाकी
वन विभाग ने तीनों अधिकारियों पर IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120B (साजिश) के तहत मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
हालांकि अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, जिस पर लोग सवाल उठा रहे हैं।
निष्कर्ष: पारदर्शिता की मांग तेज
हल्द्वानी वन निगम का यह घोटाला एक बार फिर सरकारी विभागों की निगरानी व्यवस्था पर सवाल उठाता है।
साधारण शिकायत ने बड़ा घोटाला उजागर किया है, जो बताता है कि सिस्टम में कितनी बड़ी खामियां हैं।
जनता की मांग साफ है—
सख्त कार्रवाई, निष्पक्ष जांच और सिस्टम में सुधार।
