Sat. Dec 27th, 2025

विनय त्यागी पर पुलिस हिरासत में हमला, इलाज के दौरान मौत, सुरक्षा में चूक

उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में 24 दिसंबर को हुई सनसनीखेज गोलीबारी की घटना में गंभीर रूप से घायल कुख्यात गैंगस्टर विनय त्यागी (57) की AIIMS ऋषिकेश में इलाज के दौरान मौत हो गई। त्यागी पर हमला उस समय किया गया जब उन्हें रुड़की जेल से लक्सर कोर्ट में पेशी के लिए पुलिस वाहन से ले जाया जा रहा था।

दिनदहाड़े व्यस्त लक्सर फ्लाईओवर पर ट्रैफिक जाम के दौरान बाइक सवार दो नकाबपोश हमलावरों ने पुलिस वाहन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इस हमले में विनय त्यागी को सीने, गर्दन और हाथ में तीन गोलियां लगीं, जबकि दो पुलिस कांस्टेबल भी घायल हो गए।

घटना का विवरण

घटना 24 दिसंबर की सुबह करीब 11 बजे की है। ट्रैफिक जाम में फंसे पुलिस वाहन को निशाना बनाते हुए हमलावरों ने बेहद नजदीक से कई राउंड फायरिंग की। हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें हमलावरों को घटनास्थल से फरार होते देखा जा सकता है।
घायल त्यागी को पहले स्थानीय अस्पताल और फिर गंभीर हालत में एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया, जहां तीन दिन तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद शनिवार को उनकी मौत हो गई।

आपराधिक पृष्ठभूमि

मुजफ्फरनगर निवासी विनय त्यागी पर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में हत्या, हत्या के प्रयास, लूट, डकैती और धोखाधड़ी सहित 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। उन पर 50 हजार रुपये का इनाम भी घोषित था और वे गैंगस्टर एक्ट के तहत रुड़की जेल में बंद थे।

हमलावर गिरफ्तार, पुरानी रंजिश का खुलासा

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 25 दिसंबर को दोनों हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान सनी यादव उर्फ शेरा और अजय सैन (अजय कुमार) के रूप में हुई है, जो काशीपुर (उधम सिंह नगर) के निवासी हैं। पुलिस के अनुसार, दोनों पहले त्यागी के साथ काम कर चुके थे और पैसों के विवाद व पुरानी दुश्मनी के चलते उन्होंने वारदात को अंजाम दिया। हमले में इस्तेमाल हथियार भी बरामद कर लिए गए हैं।

पुलिस लापरवाही के आरोप, तीन कर्मी निलंबित

यह घटना पुलिस हिरासत में सुरक्षा चूक का गंभीर मामला बन गई है। त्यागी की बेटी तन्वी त्यागी ने दावा किया कि परिवार ने पहले ही संभावित खतरे को लेकर अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की थी, जिसे नजरअंदाज किया गया।
प्रारंभिक जांच में लापरवाही पाए जाने पर हरिद्वार एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल ने एक सब-इंस्पेक्टर और दो कांस्टेबलों को निलंबित कर दिया। वहीं, घायल त्यागी को तत्काल अस्पताल पहुंचाने वाले पुलिसकर्मियों को बहादुरी के लिए सम्मानित किया गया।

सुरक्षा प्रोटोकॉल पर सवाल

एडीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) वी. मुरुगेसन के निर्देश पर आरोपियों की 24 घंटे के भीतर गिरफ्तारी पुलिस की तेज कार्रवाई मानी जा रही है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि हाई-रिस्क कैदियों की ट्रांसपोर्टिंग में बख्तरबंद वाहन और अतिरिक्त एस्कॉर्ट अनिवार्य होते हैं, जिनका पालन इस मामले में नहीं हुआ।

यह घटना न सिर्फ गैंगवार की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि यह भी सवाल खड़े करती है कि क्या राज्य में पुलिस हिरासत भी अब पूरी तरह सुरक्षित नहीं रही।
पुलिस की त्वरित गिरफ्तारी से भरोसा कुछ हद तक बहाल हुआ है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत साफ तौर पर सामने आई है।

By devbhoomikelog.com

News and public affairs

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *