उत्तराखंड सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और राज्य की आय बढ़ाने के उद्देश्य से बाहरी राज्यों के वाहनों पर *ग्रीन सेस लगाने की नीति को नए साल से सख्ती से लागू करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को सचिवालय में हुई बैठक में परिवहन विभाग को 1 जनवरी 2026 से इस व्यवस्था को पूरी तरह लागू करने के निर्देश दिए। इस नीति की लंबे समय से मांग की जा रही थी, जिसे देवभूमि के लोग के संपादक भानु प्रताप सिंह ने भी प्रमुखता से उठाया था।
भानु प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री धामी से अनुरोध किया था कि उत्तराखंड में अन्य राज्यों के वाहनों और पर्यटकों पर ग्रीन सेस लागू किया जाए। इससे राज्य को पर्यावरण संरक्षण के लिए अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा, जिसका उपयोग वनों के रखरखाव, प्रदूषण नियंत्रण और पर्यटकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने में किया जा सकेगा। सिंह का कहना था कि उत्तराखंड का 71 प्रतिशत क्षेत्र वनों से आच्छादित है और यहां आने वाले लाखों पर्यटक एवं वाहन पर्यावरण पर बोझ डालते हैं, इसलिए यह सेस आवश्यक है।
सीएम धामी ने बैठक में ग्रीन सेस की वसूली में दो साल की देरी पर अधिकारियों के प्रति नाराजगी जताई और इसे तुरंत लागू करने के आदेश दिए। इस सेस की वसूली पूरी तरह डिजिटल तरीके से FASTag के माध्यम से होगी। राज्य की सीमाओं पर 16 स्थानों पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे लगाए गए हैं।
ग्रीन सेस की दरें इस प्रकार हैं:
- कार/जीप/वैन → 80 से 200 रुपये
- बस/ट्रक → 400 से 700 रुपये तक (श्रेणी के अनुसार)
कई वाहनों को छूट दी गई है, जैसे:
- दोपहिया वाहन
- सरकारी वाहन
- इलेक्ट्रिक/सीएनजी/हाइब्रिड वाहन
- एम्बुलेंस
- शव वाहन
- सेना के वाहन आदि।
सरकार का अनुमान है कि इस नीति 200-300+ करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा, जो पर्यावरण प्रबंधन और पर्यटन सुविधाओं पर खर्च किया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण में बड़ा योगदान देता है और अब बाहरी वाहनों से आने वाले लोग भी इसमें भागीदारी निभाएंगे।
यह कदम राज्य में पर्यावरण संरक्षण को मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पर्यटकों से अपील की गई है कि वे FASTag में पर्याप्त बैलेंस रखें ताकि प्रवेश सुगम रहे।
