ऋषिकेश में मंगलवार देर रात रफ्तार का कहर एक बार फिर चार जिंदगियां लील गया। मनसा देवी मंदिर के पास रेलवे फाटक के नजदीक तेज रफ्तार एसयूवी कार अनियंत्रित होकर ट्रक के पिछले हिस्से में जा घुसी। हादसा इतना भीषण था कि कार की छत पूरी तरह पिचक गई और चारों युवकों की मौके पर ही मौत हो गई।
यह दुर्घटना एक साल पहले देहरादून के ओएनजीसी चौक पर हुए खौफनाक हादसे की याद दिलाती है, जहां तेज रफ्तार एसयूवी ट्रक के पीछे घुस गई थी। हालात, रफ्तार और नतीजा—सब कुछ लगभग वैसा ही रहा।
100 किमी से ज्यादा रफ्तार, ओवरटेक की होड़ और लापरवाही
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसे से पहले कार 100 किमी प्रति घंटा से भी अधिक की रफ्तार से दौड़ रही थी। कार चालक लगातार एक के बाद एक कई वाहनों को ओवरटेक कर रहा था। हरिद्वार से ऋषिकेश की ओर आ रही थार गाड़ी में सवार युवक ने बताया कि कुछ ही मिनट पहले इस एसयूवी ने उनकी गाड़ी को भी खतरनाक तरीके से ओवरटेक किया था।
प्रत्यक्षदर्शी ने कहा,
“जिस तरह से वह कार दौड़ रही थी, हमें देखकर ही डर लग रहा था। लगा नहीं था कि कुछ सेकंड बाद इतनी बड़ी दुर्घटना हो जाएगी।”
जानवर बचाने की कोशिश या तेज रफ्तार का बहाना?
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, सड़क पर अचानक आए किसी जानवर को बचाने के प्रयास में चालक ने कार को बाईं ओर मोड़ा और नियंत्रण खो बैठा। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि इतनी तेज रफ्तार में किसी भी अप्रत्याशित स्थिति में वाहन संभाल पाना लगभग असंभव हो जाता है।
शव निकालने में पुलिस को करनी पड़ी मशक्कत
हादसे के बाद दृश्य बेहद भयावह था। कार का बायां हिस्सा सबसे ज्यादा दब गया, जिससे चालक का शव आंशिक रूप से सुरक्षित रहा, जबकि अन्य तीन शव पूरी तरह क्षत-विक्षत हो गए। शवों को बाहर निकालने के लिए पुलिस को वाहन काटना पड़ा। सड़क पर मांस के लोथड़े बिखरने से मौके पर मौजूद लोग सहम गए।
बड़ा सवाल: कब थमेगी रफ्तार की ये मौतें?
यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि स्पीड कल्चर, रात में रेसिंग ड्राइविंग, कमजोर ट्रैफिक निगरानी और ओवरकॉन्फिडेंस का खतरनाक मिश्रण है। ओएनजीसी चौक से ऋषिकेश तक सवाल वही है—
- क्या हाईवे और शहरी सड़कों पर स्पीड कंट्रोल सिर्फ कागजों तक सीमित है?
- क्या युवा रफ्तार को स्टेटस सिंबल मानते रहेंगे?
- और क्या प्रशासन हर हादसे के बाद सिर्फ जांच तक ही सीमित रहेगा?
