दिल्ली के वसंत विहार इलाके में अंबियंस मॉल के पास देर रात एक दर्दनाक हादसे में 23 वर्षीय रोहित सिंह की जान चली गई। उत्तराखंड के चमोली जिले के रहने वाले रोहित ‘पॉल’ फ्रेंच बेकरी-कैफे में शेफ के रूप में काम करते थे। रात करीब 1 बजे वह अपने दो सहकर्मियों के साथ ऑटो स्टैंड पर इंतजार कर रहे थे, तभी तेज रफ्तार मर्सिडीज G63 ने उन्हें सामने से टक्कर मार दी।
पुलिस जांच के अनुसार, कार की स्पीड 100 किमी/घंटे से ज्यादा थी। ड्राइवर ने नियंत्रण खोया, एक पोल से टकराया और फिर सड़क किनारे खड़े तीनों लोगों को कुचल दिया। रोहित को तुरंत AIIMS ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बाकी दोनों घायल—35 और 23 वर्ष के—इलाजरत हैं।
ड्राइवर गिरफ्तार, शराब के नशे में होने की आशंका
मर्सिडीज चलाने वाला शिवम अरोड़ा, जो एक शादी समारोह का दूल्हा बताया जा रहा है, को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उस पर शराब के नशे में तेज रफ़्तार से गाड़ी चलाने का शक है। पुलिस ने उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
रोहित का संघर्ष: पहाड़ से दिल्ली तक सपनों की यात्रा अधूरी रह गई
चमोली के एक छोटे से गांव में जन्मे रोहित कम उम्र से ही परिवार की ज़िम्मेदारी उठाने लगे थे। पिता यशवंत सिंह बिष्ट की बीमारी और घर के कर्ज ने उन्हें दिल्ली आने पर मजबूर किया। दो साल पहले जब कैफे में शेफ की नौकरी मिली, तो घरवालों को उम्मीद थी कि अब स्थिति सुधरेगी।
रोहित हर महीने अपने परिवार को पैसे भेजते थे। छोटे भाई की पढ़ाई, मां की दवाइयाँ और घर का खर्च—सब कुछ रोहित पर ही निर्भर था।
हादसे की खबर मिलते ही चमोली में मातम पसरा हुआ है। पिता बिलखते हुए बोले:
“मेरा बेटा सिर्फ मेहनत कर रहा था… कर्ज चुकाकर गांव लौटना चाहता था। ये दिल्ली की सड़कें हमारे पहाड़ी बच्चों को क्यों निगल रही हैं?”
रोहित की मां ने रोते हुए कहा:
“कल ही बोला था—‘मां, अगले हफ्ते घर आ रहा हूं।’ अब सब खत्म हो गया।”
परिवार ने सख्त कार्रवाई और कड़ी सजा की मांग की है, लेकिन आर्थिक संकट उन्हें और गहरा रहा है।
देश में बढ़ते लग्ज़री कार हादसे: आंकड़े डराते हैं
यह घटना किसी एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि देशभर में तेजी से बढ़ रहे सड़क हादसों की भयावह तस्वीर है।
- 2024 में दिल्ली में 1,450 से अधिक मौतें सड़क हादसों में हुईं।
- भारत में हर साल करीब 1.7 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं—यानी हर 4 मिनट में एक मौत।
- शराब पीकर गाड़ी चलाना, ओवरस्पीडिंग और नियमों की अनदेखी इन मौतों के बड़े कारण हैं।
लग्जरी कार से जुड़े हादसे पिछले कुछ वर्षों में लगातार चर्चा में रहे हैं—दिल्ली का BMW केस हो या पुणे का पोर्श हादसा। रोहित का मामला उसी लापरवाही की नई मिसाल बनकर सामने आया है।
सख्ती के दावों के बावजूद नतीजे कमजोर
सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी कई चेतावनियाँ दे चुकी है, लेकिन:
- ओवरस्पीडिंग पर वास्तविक निगरानी बेहद कमजोर
- ड्रंक एंड ड्राइव पर कार्रवाई सीमित
- प्रभावशाली आरोपियों के मामलों में समझौते आम
- हिट-एंड-रन केस में सज़ा का औसत बेहद कम
रोहित के भाई ने कहा:
“भैया कहते थे—‘तुम पढ़ाई करो, घर मैं संभाल लूंगा।’ अब सब बिखर गया। न्याय मिलेगा भी या नहीं, ये डर लगा रहता है।”
क्या भारत की सड़कें सुरक्षित होंगी?
रोहित अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी मौत एक सवाल छोड़ गई है—
तेज रफ्तार, नशे और लापरवाही से होने वाली मौतों को रोकने के लिए आखिर कब तक इंतज़ार किया जाएगा?
कब तक आम लोगों की जान लग्ज़री गाड़ियों की रफ्तार के नीचे कुचली जाती रहेगी?
