उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में सड़कें लगातार जानलेवा बनती जा रही हैं। शनिवार रात से रविवार सुबह तक के सिर्फ 24 घंटों में हल्द्वानी, किच्छा, गदरपुर, पिथौरागढ़, नैनीताल और बागेश्वर में 6 भयावह सड़क हादसों ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। इन घटनाओं में आईटीबीपी के एक जवान समेत 6 निर्दोष लोगों की मौत हो गई, जबकि 9 लोग गंभीर रूप से घायल हैं। ये हादसे न केवल परिवारों को गहरे शोक में डुबो रहे हैं, बल्कि कुमाऊं की सड़क सुरक्षा व्यवस्था और सड़क निर्माण में कथित भ्रष्टाचार को भी बेनकाब कर रहे हैं।
भ्रष्टाचार बन रहा मौत का कारण
तेज रफ्तार, ओवरलोडिंग और रात की कम विजिबिलिटी हादसों के प्रमुख कारण हैं, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो सड़क निर्माण परियोजनाओं में लगातार जारी भ्रष्टाचार और घटिया गुणवत्ता हादसों की जड़ है।
अधूरे प्रोजेक्ट, कमजोर सड़कें, टूटी किनारियाँ और ब्लैक स्पॉट्स पर कोई सुधार नहीं—इन खामियों ने लोगों की जान लेना शुरू कर दिया है।
CAG रिपोर्ट्स भी बता चुकी हैं कि सड़क निर्माण में टेंडर प्रक्रिया की अनियमितताएं और गुणवत्ता में बड़े पैमाने पर समझौते हो रहे हैं।
हादसों का डरावना विवरण: 6 घरों का उजड़ना
1. हल्द्वानी (काला डुंगरी रोड – शनिवार रात)
दिल्ली से लौट रहे 22 वर्षीय लोकेश मौर्य को तेज रफ्तार टैंकर ने कुचल दिया। हाल ही में उनका रिश्ता तय हुआ था। परिवार के सपने कुछ ही सेकंड में बिखर गए।
2. किच्छा (हाईवे – रविवार सुबह)
दो दोस्त अरबाज (26) और जीशान (22) बस की टक्कर से मौके पर ही मौत के शिकार हो गए। परिवारों में कोहराम मचा है।
3. गदरपुर (महतोश मोड़ – रविवार सुबह)
कार और ट्रॉली की भिड़ंत में आयुष सिंह (24) और अंशुल बिष्ट की जान चली गई। एक इंजीनियरिंग छात्र और एक किसान परिवार का बेटा, दोनों के सपने सड़क पर ही थम गए।
4. पिथौरागढ़ (जाखनी–कुमाऊं मार्ग)
ITBP जवान कैलाशनाथ पैदल लौटते समय अज्ञात वाहन की चपेट में आ गए। देश सेवा करने वाला जवान अपनी ही सड़क पर सुरक्षित नहीं रह सका।
5–6. नैनीताल और बागेश्वर
दो और हादसों में 2 लोगों की मौत और कई घायल हुए। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू की है, लेकिन स्थानीय लोग इसे “औपचारिकता” बता रहे हैं।
कुमाऊं का काला सच: हादसे बढ़े, मौतें दोगुनी
कुमाऊं में सड़क हादसे पिछले वर्षों में तेजी से बढ़े हैं:
- 2024 में 402 से बढ़कर 2025 में 555 हादसे
- 2024 में 265 से बढ़कर 2025 में 401 मौतें – यानी 34% की वृद्धि
कई हालिया हादसे इस भयावह स्थिति की पुष्टि करते हैं:
- अल्मोड़ा (NH-109) – बस खाई में गिरी, 12 मौतें
- पिथौरागढ़ – जीप दुर्घटना, 8 ग्रामीणों की मौत
- नैनीताल – सड़क धंसाव से कार खाई में, 5 पर्यटक मरे
- बागेश्वर – जीप-ट्रक टक्कर, 7 मौतें
- चंपावत – बस हादसा, 10 मौतें
NH-109 और NH-309A जैसे हाईवे ब्लैक स्पॉट्स का जाल बन चुके हैं, जहां न लाइटें हैं, न क्रैश बैरियर और न ही उचित इंजीनियरिंग।
हादसों के असली कारण: लापरवाही से लेकर भ्रष्टाचार तक
1. तेज रफ्तार और गलत ओवरटेक (70% दुर्घटनाएं)
पर्यटक और स्थानीय ट्रैफिक मिलकर जोखिम बढ़ा रहे हैं।
2. ओवरलोडिंग और वाहन फिटनेस की अनदेखी
3. रात की कम विजिबिलिटी और ड्रिंक एंड ड्राइव
4. सड़क इंजीनियरिंग की गंभीर खामियां
ब्लैक स्पॉट्स पर सुरक्षा व्यवस्था लगभग शून्य।
5. भूस्खलन और मौसमीय खतरे, पर कोई स्थायी समाधान नहीं।
6. भ्रष्टाचार: सड़क निर्माण की असली बीमारी
PMGSY और भारतमाला जैसे प्रोजेक्ट्स में CAG रिपोर्ट्स ने बार-बार अनियमितताओं को उजागर किया है:
- सिंगल-बिड टेंडर
- घटिया मटेरियल
- राजनीतिक संरक्षण
- अधूरे प्रोजेक्ट
- बाहरी ऑडिट का अभाव
इसका नतीजा– सड़कें जल्दी टूटती हैं और हादसे बढ़ते जाते हैं।
जिम्मेदारी क्यों तय नहीं हो रही?
- जांचें फाइलों में दब जाती हैं
- ट्रैफिक पुलिस में 40% पोस्ट खाली
- ब्लैक स्पॉट्स पर कोई काम नहीं
- राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी
- हिल ड्राइविंग ट्रेनिंग प्रणाली नहीं
- ठेकेदारों पर कार्रवाई लगभग शून्य
क्या होना चाहिए? – ज़मीनी सुधार
✔ ब्लैक स्पॉट्स पर तात्कालिक सुधार
क्रैश बैरियर, LED लाइटिंग, GPS अलर्ट सिस्टम
✔ सख्त प्रवर्तन
स्पीड कैमरा, शराब चेकिंग, ओवरलोडिंग पर भारी जुर्माना
✔ हिल ड्राइविंग ट्रेनिंग अनिवार्य
✔ इमरजेंसी रिस्पॉन्स तेज
108 एम्बुलेंस का रेस्पॉन्स टाइम 30 मिनट करें
हेलीकॉप्टर रेस्क्यू सेवा शुरू हो
✔ सड़क निर्माण में पारदर्शिता
E-tendering, थर्ड-पार्टी ऑडिट और दोषी इंजीनियर–ठेकेदार पर FIR
✔ 72 घंटे में मजिस्ट्रियल जांच अनिवार्य
निष्कर्ष
कुमाऊं के ये हादसे सिर्फ आंकड़े नहीं, 6 परिवारों की बिखरी दुनिया हैं।
जरूरत है कि सड़कें यात्रा का साधन बनें, मौत का रास्ता नहीं।
जब तक भ्रष्टाचार और लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक कुमाऊं में सड़कें इसी तरह निर्दोषों की जान लेती रहेंगी।
