पिथौरागढ़ पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। शेयर बाजार में निवेश का लालच देकर करोड़ों की ठगी करने वाले शातिर आरोपी जगदीश पुनेठा को दुबई से गिरफ्तार कर भारत लाया गया है। आरोपी पिछले चार साल से फरार चल रहा था, जिस पर इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस तक जारी कर दिया था।
पुलिस के अनुसार, यह मामला अभी तक 15.86 करोड़ रुपये की ठगी का है, लेकिन आशंका है कि घोटाले की राशि 100 करोड़ रुपये से भी अधिक हो सकती है। आरोपी को पिथौरागढ़ लाकर अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
कैसे रचा गया करोड़ों का घोटाला?
जगदीश पुनेठा, निवासी सिलपाटा (पिथौरागढ़), ने साल 2020 से पहले कई कंपनियां—
- निर्मल बंग कमोडिटी,
- रॉयल पैंथर प्राइवेट लिमिटेड,
- मातृछाया आभूषण प्राइवेट लिमिटेड,
के नाम पर निवेश का जाल बिछाया। लोगों को शेयर बाजार और कमोडिटी में पैसा लगाकर मोटा मुनाफा देने का लालच दिया गया।
शुरुआत में कुछ रिटर्न देकर लोगों का भरोसा जीता गया, लेकिन 2020 के बाद भुगतान बंद हो गया। धीरे-धीरे ठगी का खेल सामने आया और पीड़ितों ने पिथौरागढ़ कोतवाली और जाजरदेवल थाने में मुकदमे दर्ज कराए।
पुलिस ने उसके भाई ललित पुनेठा और साथी पंकज शर्मा (झारखंड) को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन जगदीश विदेश भाग गया।
50 हजार का इनाम, CBCID जांच और इंटरपोल तक पहुंचा मामला
जनाक्रोश बढ़ने पर मामला CBCID को सौंपा गया। आरोपी की संपत्ति कुर्क की गई और 50,000 रुपये का इनाम घोषित किया गया।
तकनीकी और मैनुअल इनपुट के आधार पर पता चला कि जगदीश दुबई में छिपा है। मामले की जानकारी केंद्र को दी गई और बाद में CBI के माध्यम से इंटरपोल द्वारा RCN जारी किया गया।
इंटरपोल ने उसे दुबई में दबोच लिया और बाद में सुरक्षा मिशन टीम —
- एएसपी CBCID मनोज कुमार ठाकुर,
- कोतवाली प्रभारी ललित मोहन जोशी,
- एएनटीएफ निरीक्षक सतीश कुमार शर्मा,
को आरोपी सौंप दिया गया। टीम 13 नवंबर को जगदीश को भारत लाई।
डीजीपी कर रहे थे मामले की मॉनिटरिंग
इस हाई-प्रोफाइल आर्थिक अपराध की लगातार मॉनिटरिंग डीजीपी अशोक कुमार,
आईजी कुमाऊं रिद्धिम अग्रवाल, और
एसपी पिथौरागढ़ कर रहे थे।
उनकी देखरेख में ही आरोपी को दुबई से भारत लाने का ऑपरेशन पूरा हुआ।
किन धाराओं में केस दर्ज?
जगदीश पुनेठा के खिलाफ दर्ज मुकदमे:
- धारा 420 (ठगी)
- धारा 504
- धारा 406 (आपराधिक न्यास-भंग)
- 120-B (साजिश)
- तीन UPID एक्ट
- गैंगस्टर एक्ट
कोतवाल ललित मोहन जोशी के अनुसार, यह उत्तराखंड का अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक अपराध माना जा रहा है।
100 करोड़ से अधिक के घोटाले की आशंका
फिलहाल पुलिस के पास केवल उन्हीं पीड़ितों का डेटा है, जिन्होंने आगे आकर शिकायत दर्ज कराई है। लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि बड़ी संख्या में पीड़ित अभी सामने नहीं आए हैं।
इसलिए ठगी की कुल राशि 100 करोड़ रुपये से भी अधिक हो सकती है।
