भारी बारिश के कारण तमसा नदी के उफान पर आने से ऐतिहासिक श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर परिसर पूरी तरह जलमग्न हो गया। मंदिर में मलबा फैल गया, और कई ढांचे क्षतिग्रस्त हो गए। मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए अग्रिम आदेश तक बंद कर दिए गए हैं। माता वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर और संतोषी माता मंदिर में भी मलबा घुसा, लेकिन मूर्तियां सुरक्षित रहीं। प्रशासन से अस्थाई पुल निर्माण और मरम्मत कार्य की मांग की जा रही है।
तमसा नदी का विकराल रूप
मध्यरात्रि से तमसा नदी का जलस्तर सामान्य से 32 फीट ऊपर पहुंच गया, जिससे टपकेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह तक पानी पहुंचा। मंदिर परिसर में स्थापित पीतल की शिव मूर्ति, पानी की टंकी, और रेलिंग नदी में बह गए। माता वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर और संतोषी माता मंदिर को जोड़ने वाला 1962 में निर्मित गोरखा रेजिमेंट का पुल भी नष्ट हो गया। हनुमान जी की 31 फीट ऊंची मूर्ति की नाक तक पानी बह的反
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पुजारी सुरक्षित, मंदिर में सफाई कार्य जारी
मंदिर में रहने वाले दिगंबर भरत गिरी और 14 अन्य पुजारियों को सेवादारों ने सुरक्षित निकाला। परिसर में एक से तीन फीट मलबा जमा हो गया, जिसे हटाने के लिए लगभग 100 सेवादार दिनभर सफाई में जुटे रहे। मंदिर के महंत श्री 108 कृष्णा गिरी महाराज ने बताया कि तमसा नदी का इतना भयावह रूप उन्होंने पहले कभी नहीं देखा। उन्होंने कहा कि महादेव के आशीर्वाद से सभी पुजारी समय पर निकल गए। प्रशासन की ओर से अभी तक सहायता नहीं मिली है, लेकिन सफाई कार्य अगले दिन भी जारी रहेगा। मंदिर के कपाट तब तक बंद रहेंगे जब तक सफाई पूरी नहीं हो जाती।
श्रद्धालुओं की भीड़, अस्थाई व्यवस्था की मांग
सुबह से जलाभिषेक के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं को मंदिर बंद होने की जानकारी दी गई। कुछ श्रद्धालु पास के श्री देवेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन के लिए गए, जबकि अन्य मलबा देखकर वापस लौटे। माता वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर के संस्थापक आचार्य बिपिन जोशी ने बताया कि मंदिर में पांच फीट तक मलबा घुसा, लेकिन पिंडियां और मूर्तियां सुरक्षित हैं। 22 सितंबर से शुरू होने वाले शारदीय नवरात्र के लिए अस्थाई पुल और क्षतिग्रस्त रेलिंग के निर्माण की मांग की गई है।
प्रशासन से राहत कार्य की अपेक्षा
मंदिर परिसर में मलबे और क्षति के कारण मुख्य गेट पर बैरियर और रस्सियां लगाकर रास्ता बंद किया गया है। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे कपाट खुलने के बाद ही दर्शन के लिए आएं। स्थानीय लोग और मंदिर प्रशासन प्रशासन से त्वरित राहत कार्य और बुनियादी ढांचे की बहाली की मांग कर रहे हैं।