टनकपुर से पिथौरागढ़ तक बनी ऑलवेदर सड़क अब यात्रियों के लिए जोखिम भरी साबित हो रही है। सड़क पर फैले मलबे के कारण दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं, लेकिन नेशनल हाईवे (एनएच) प्राधिकरण की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। हाल ही में घाट चौकी के पास जमा मलबे में रपटकर एक जीप पलट गई, जिसमें चार यात्री घायल हो गए। कई बार सूचना देने के बावजूद एनएच ने मलबा नहीं हटाया, तो तैनात पुलिस कर्मियों को खुद फावड़ा-बेलचा थामना पड़ा।
हेड कांस्टेबलों का साहसिक कदम: यात्रियों की जान बचाई
घाट चौकी पर तैनात दो हेड कांस्टेबल उमेश चंद्र सती और नंदन अधिकारी ने यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए खुद ही मलबा हटाने का बीड़ा उठाया। उन्होंने फावड़ा-बेलचा का इंतजाम किया और सड़क को साफ कर एनएच प्राधिकरण को आईना दिखाया। हेड कांस्टेबल सती ने बताया, “मलबा जमा होने से दुर्घटना का खतरा बढ़ गया था। एनएच को बार-बार सूचना दी, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसलिए हमने खुद कार्रवाई की।” इस कदम से न केवल सड़क सुरक्षित हुई, बल्कि पूरे सिस्टम की लापरवाही उजागर हो गई।
पहाड़ी से गिरते बोल्डर: डेंजर जोन बने जानलेवा
घाट से पिथौरागढ़ तक की सड़क पर खतरे कम होने का नाम नहीं ले रहे। दिल्ली बैंड, घाट चौकी, मटेला जैसे कई स्थानों पर पहाड़ियों से लगातार मलबा और बड़े-बड़े बोल्डर गिर रहे हैं। जगह-जगह चिह्नित ‘डेंजर जोन’ यात्रियों और चालकों की जान पर बन आए हैं। इन जोनों का उपचार करने के लिए भी कोई गंभीर प्रयास नहीं हो रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून के दौरान बारिश से मिट्टी धसाव बढ़ जाता है, जो स्थिति को और जटिल बनाता है।
यात्रियों की परेशानी: सुधार की मांग
सड़क की बदहाली से रोजाना सैकड़ों यात्री परेशान हो रहे हैं। वाहन चालक बताते हैं कि अचानक गिरते बोल्डर से बचना मुश्किल हो जाता है। स्थानीय लोगों ने एनएच से तत्काल मरम्मत और डेंजर जोनों के ट्रीटमेंट की मांग की है। साथ ही, पुलिस की इस पहल की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे कदमों से सिस्टम में सुधार की उम्मीद जागती है।
क्या कहते हैं अधिकारी?
एनएच प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि वे मलबा हटाने की प्रक्रिया में हैं, लेकिन मौसम की वजह से देरी हो रही है। हालांकि, पुलिस की कार्रवाई को वे सराहनीय मानते हैं। आने वाले दिनों में विशेष टीम भेजकर सड़क को पूरी तरह सुरक्षित करने का आश्वासन दिया गया है।