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आपदा पीड़ितों की मदद को गति, पुनर्निर्माण कार्यों में मशीनरी की ताकत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तराखंड के लिए 1200 करोड़ रुपये की आपदा राहत सहायता की घोषणा के बाद, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने राहत और पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा शुरू कर दी है। केंद्रीय टीम जल्द ही आपदा के बाद की आवश्यकताओं का आकलन (पोस्ट डिजास्टर नीड्स असेसमेंट – पीडीएनए) करेगी। सरकार प्रभावितों के पुनर्वास और पुनर्निर्माण कार्यों को तेज करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए मशीनरी ने तैयारियाँ तेज कर दी हैं। साथ ही, राज्य सरकार वन कानूनों में छूट की मांग कर रही है ताकि पुनर्वास कार्य में तेजी लाई जा सके।

1200 करोड़ की सहायता और केंद्रीय टीम का आकलन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड को आपदा से उबरने के लिए 1200 करोड़ रुपये की तात्कालिक सहायता की घोषणा की। संकेत मिल रहे हैं कि यह राशि आवश्यकता के आधार पर बढ़ सकती है। शुक्रवार को देहरादून पहुँचे एनडीएमए के विभागाध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने आपदा राहत और पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने पीडीएनए के लिए दिशा-निर्देश दिए, जिसके तहत केंद्रीय टीम 17 या 18 सितंबर 2025 को उत्तराखंड पहुँचेगी। यह टीम एक माह के भीतर आकलन पूरा करेगी, जिसमें निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया जाएगा:

  • क्षति की मात्रा
  • प्रभावित लोगों की संख्या
  • बुनियादी ढांचे की स्थिति
  • आजीविका पर प्रभाव
  • दीर्घकालिक पुनर्निर्माण और जोखिम न्यूनीकरण के लिए योजना

इसके लिए आवास, सड़क, ऊर्जा, पेयजल, और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) जैसे विभागों के विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। यह आकलन आपदा प्रभावित क्षेत्रों में व्यवस्थित पुनर्निर्माण और आर्थिक सहायता के लिए आधार प्रदान करेगा।

पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए त्वरित कदम

आपदा पीड़ितों की मदद के लिए सरकार तेजी से कार्य कर रही है। सर्दियों के आगमन से पहले पुनर्वास कार्य पूर्ण करना प्राथमिकता है। इस मानसून में उत्तराखंड में 238 घर पूर्ण रूप से ध्वस्त हुए और 2835 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। बेघर हुए लोगों के पुनर्वास के लिए सुरक्षित स्थानों पर भूमि की आवश्यकता है। चूँकि राज्य का 71.05% हिस्सा वन क्षेत्र है, पुनर्वास के लिए वन भूमि का उपयोग अनिवार्य हो जाता है।

वन कानूनों में छूट की मांग

पुनर्वास प्रक्रिया को तेज करने के लिए राज्य सरकार केंद्र से वन कानूनों में शिथिलता की मांग कर रही है। केदारनाथ आपदा (2013) के बाद राज्य को एक हेक्टेयर तक वन भूमि हस्तांतरण का अधिकार प्राप्त था। अब फिर से इस अधिकार की मांग के लिए केंद्र में पैरवी की जा रही है ताकि बेघर लोगों का पुनर्वास शीघ्र हो सके।

सरकार और मशीनरी की प्रतिबद्धता

प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद, आपदा पीड़ितों के आंसू पोंछने और उनके जीवन को सामान्य बनाने की कवायद तेज हो गई है। मशीनरी पुनर्निर्माण और पुनर्वास कार्यों में पूरी ताकत से जुटी है। सरकार का लक्ष्य न केवल तात्कालिक राहत प्रदान करना है, बल्कि दीर्घकालिक पुनर्निर्माण और जोखिम न्यूनीकरण की योजनाओं को लागू करना भी है।

यह प्रयास उत्तराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में नई उम्मीद जगाने और प्रभावितों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

By devbhoomikelog.com

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