देहरादून में एक बड़ा जमीन घोटाला सामने आया है। यह मामला 500 एकड़ से अधिक सरकारी भूमि से जुड़ा है, जो कभी खनन पट्टों के लिए आवंटित की गई थी। लेकिन अब इन जमीनों पर आलीशान होटल और रिसॉर्ट खड़े हो चुके हैं।
1985 में खनन पर लगी थी रोक
1960 के दशक में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) लखनऊ ने दून घाटी और मसूरी क्षेत्र में 500 एकड़ से अधिक भूमि पर खनन पट्टे आवंटित किए थे।
लेकिन वर्ष 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने खनन पर रोक लगाते हुए सारी जमीन जिलाधिकारी की कस्टडी में सौंप दी थी। यह जिम्मेदारी दी गई थी कि जमीन का पुनरुद्धार और संरक्षण किया जाए।
सरकारी कब्जा नहीं लिया गया
हालांकि, जिलाधिकारी को सुपुर्द की गई यह भूमि कभी सरकारी कब्जे में नहीं ली गई। नतीजतन धीरे-धीरे इन जमीनों पर निजी कब्जे हो गए और अब यहां आलीशान रिसॉर्ट और होटल बन गए हैं।
किन क्षेत्रों की है जमीन
हाथीपांव, बनोग, अलीपुर रोड, हरिद्वार रोड, क्यारकुली, भितरली, रिखोली, सेरा गांव, चामासारी, बांडवाली, सहस्रधारा, लंबीधार, मसूरी क्षेत्र, तिमली, कार्लीगाड़, सेलाकुई, पटेल नगर आदि स्थानों की जमीनें इसमें शामिल बताई जा रही हैं।
ईको टास्क फोर्स की मेहनत भी बेकार
खनन बंद होने के बाद इन जमीनों के पुनरुद्धार का काम ईको टास्क फोर्स को दिया गया था। कई सालों की मेहनत से यहां हरियाली लौट आई थी। लेकिन जैसे ही भूमि की हालत सुधरी, उस पर कब्जे और अवैध निर्माण शुरू हो गए।
अब जांच के आदेश
अब जिलाधिकारी ने इस पूरे प्रकरण की जांच कराने का आश्वासन दिया है। सवाल यह है कि जिस जमीन का मालिकाना हक सरकार के पास था, वह आखिरकार निजी हाथों में कैसे चली गई।