Sat. Aug 2nd, 2025

हल्द्वानी का कूड़े का ढेर: जनता ने दिया ‘असफलता’ का दर्जा

हल्द्वानी की रैंकिंग में गिरावट का प्रमुख कारण गौला बाईपास पर जमा कचरे का पहाड़ बन गया है। रोजाना विभिन्न निकायों से पहुंचने वाले कचरे का निस्तारण अभी तक शुरू नहीं हो सका है, जिससे शहर की छवि धूमिल हुई है। कचरा पृथक्कीकरण की कमी और मैटीरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर के संचालन में देरी ने स्थिति को और खराब कर दिया है। हालांकि, रिहायशी और बाजार क्षेत्रों में स्वच्छता बनाए रखने तथा नालियों की सफाई में शत-प्रतिशत सफलता हासिल की गई है।

बाईपास पर ट्रंचिंग ग्राउंड में लगभग दस एकड़ क्षेत्र में फैला कचरा अप्रैल 2025 से निस्तारण प्रक्रिया में है, जबकि सर्वेक्षण 2024 से जुड़ा रहा। कचरा पृथक्कीकरण न होने से सूखा और गीला कचरा अलग नहीं हो पा रहा। योजना थी कि सूखे कचरे को एमआरएफ सेंटर में कांच, प्लास्टिक, कपड़े आदि अलग कर रिसाइकिल किया जाए, जबकि गीले कचरे से खाद तैयार हो, मगर यह अभी अधर में लटका है। निगम ने गौला रोखड़ में एमआरएफ सेंटर के लिए जगह चिह्नित की है, पर संचालन शुरू नहीं हो सका।

डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन में भी गिरावट आई है। 2023 में 99 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले इस पैमाने पर 2024 में यह 60 प्रतिशत तक सीमित रह गया। स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए 25,000 लोगों का ऑनलाइन फीडबैक जुटाने का लक्ष्य था, लेकिन प्रचार-प्रसार की कमी के कारण केवल 7,500 लोगों की राय ही दर्ज हो सकी।

स्वच्छता सर्वेक्षण के मानक और हल्द्वानी की स्थिति

  • डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन: 60%
  • आबादी क्षेत्र में सफाई: 100%
  • कूड़ा पृथक्कीकरण: 37%
  • बाजार क्षेत्र में सफाई: 100%
  • अपशिष्ट उत्पादन बनाम प्रसंस्करण: 44%
  • नालियों की सफाई: 100%
  • सार्वजनिक शौचालयों की सफाई: 50%
  • कूड़ाघरों की स्थिति: 43%

हल्द्वानी, जो 50,000 से तीन लाख आबादी वाली श्रेणी में आता है, इस सर्वेक्षण में अन्य छोटे नगर पंचायतों और पालिकाओं से प्रतिस्पर्धा कर रहा था। केंद्रीय मंत्रालय की ओर से आबादी के आधार पर रैंकिंग तय की जाती है, लेकिन वर्तमान संकट ने शहर की स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

By devbhoomikelog.com

News and public affairs

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *