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माँ जीयारानी मंदिर काठगोदाम: आस्था और शांति का केंद्र

काठगोदाम, नैनीताल (उत्तराखंड)। काठगोदाम स्थित माँ जीयारानी मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यहाँ का शांत और सुंदर वातावरण भक्तों को मानसिक शांति भी प्रदान करता है। काठगोदाम के घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच स्थित माँ जीयारानी मंदिर न सिर्फ आस्था का केंद्र है, बल्कि इससे जुड़ी पौराणिक कथाएँ और चमत्कारिक घटनाएँ इसे रहस्यमयी बनाती हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि यहाँ माँ जीयारानी स्वयं विराजमान हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं।

मंदिर का प्राचीन इतिहास और जनश्रुतियाँ

स्थानीय इतिहासकारों और पुराने ग्रंथों के अनुसार, माँ जीयारानी मंदिर का इतिहास कत्यूरी वंश के शासनकाल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि लगभग 800 साल पहले, इस स्थान पर एक गड़रिए को स्वप्न में माँ जीयारानी ने दर्शन दिए और उसे एक पत्थर के रूप में प्रकट होने का आदेश दिया। गड़रिए ने जब उस पत्थर को उठाकर देखा, तो उसमें से रक्त की धारा बह निकली। इस चमत्कार के बाद वहाँ माँ की मूर्ति स्थापित की गई और एक छोटे मंदिर का निर्माण हुआ।

माँ जीया (जीयारानी): कत्यूरी राजा पृथ्वी पाल की पत्नी और एक दिव्य शक्ति

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

माँ जीयारानी का इतिहास कत्यूरी वंश (7वीं-11वीं शताब्दी) से जुड़ा है, विशेष रूप से पिथौरागढ़ के राजा पृथ्वी पाल के शासनकाल से जिनके नाम पर पिथौरागढ़ जिले का नाम पढ़ा है। किवदंतियों के अनुसार, जीया (या जीयारानी) राजा पृथ्वी पाल की प्रिय रानी थीं, जिन्हें उनकी देवी समान पवित्रता और चमत्कारिक शक्तियों के लिए जाना जाता था। जिया रानी का मन्दिर गुफा के रूप में जाना जाता है, उस स्थान का नाम रानीबाट(जैजियाठाऊ) है। १३वी सताब्दी से पहले इस स्थान का नाम चौघानपाटा था।

पौराणिक कथा

रानी से देवी तक:

  • राजा पृथ्वी पाल ने जीयाघाट (आज का जीयारानी मंदिर स्थल) में एक यज्ञ किया था। रानी जीया ने इस यज्ञ में अपने पति की सहायता की और आध्यात्मिक शक्तियों का प्रदर्शन किया।
  • कहा जाता है कि यज्ञ के बाद, रानी जीया अदृश्य हो गईं और एक दिव्य रूप में प्रकट हुईं, जिसके बाद उन्हें “जीयारानी” (जीवनदायिनी माँ) के रूप में पूजा जाने लगा।

रक्षक देवी के रूप में:

  • एक लोककथा के अनुसार, जब कत्यूरी साम्राज्य पर आक्रमण हुआ, तो रानी जीया ने योगिनी रूप धारण कर सेना की रक्षा की और शत्रुओं को परास्त किया।
  • उनके तपोबल से प्रभावित होकर राजा ने उनके नाम पर एक मंदिर की स्थापना की, जो आज काठगोदाम के जीयारानी मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है।

ऐतिहासिक साक्ष्य

  • ताम्रपत्रों और स्थानीय गाथाओं में राजा पृथ्वी पाल और रानी जीया का उल्लेख मिलता है।
  • पिथौरागढ़ के जीयाघाट का नाम रानी जीया के नाम पर पड़ा, जहाँ आज भी एक प्राचीन शिलालेख मौजूद है।
  • कत्यूरी कालीन मंदिरों की वास्तुकला (जैसे जागेश्वर) से मिलते-जुलते शिल्प इस मंदिर में देखे जा सकते हैं।
MAA JIYARAANI MANDIR RAAANIBAGH KATHGODAM HALDWANI

चमत्कार और मन्नतें

मंदिर से जुड़े अनेक चमत्कारिक किस्से स्थानीय लोग बताते हैं। कहा जाता है कि संतानहीन दंपत्ति यदि यहाँ 40 दिन तक नियमित पूजा करें, तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, नौकरी, विवाह और स्वास्थ्य संबंधी मन्नतें भी यहाँ माँगी जाती हैं, जो अक्सर पूरी होती हैं।

मंदिर की वास्तुकला और आध्यात्मिक वातावरण

मंदिर का निर्माण पारंपरिक उत्तराखंडी शैली में किया गया है, जिसमें लकड़ी और पत्थर का उपयोग हुआ है। मंदिर परिसर में हरियाली और फूलों की सुंदर व्यवस्था भक्तों को प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कराती है। मंदिर के पास एक छोटा झरना भी है, जो इस स्थान की शोभा को और बढ़ाता है।

मेले और उत्सव

माँ जीयारानी मंदिर में हर साल नवरात्रि के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस दौरान मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। स्थानीय कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जाते हैं। नवरात्रि में यहाँ “जीयारानी जात” नामक विशेष उत्सव मनाया जाता है, जिसमें कत्यूरी वंश की परंपराओं को दोहराया जाता है।

कैसे पहुँचें?

माँ जीयारानी मंदिर काठगोदाम रेलवे स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ तक पहुँचने के लिए टैक्सी या ऑटो-रिक्शा की सुविधा उपलब्ध है। नैनीताल और आसपास के पर्यटन स्थलों से आने वाले भक्त आसानी से मंदिर दर्शन कर सकते हैं।

माँ जीयारानी मंदिर का विस्तार: नवनिर्माण कार्य जारी, भक्त कर सकते हैं सहयोग

माँ जीयारानी मंदिर के भव्य विस्तार और सौंदर्यीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है। मंदिर ट्रस्ट द्वारा शुरू किए गए इस निर्माण कार्य का उद्देश्य भक्तों के लिए बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध कराना और मंदिर परिसर को और भी भव्य बनाना है।

निर्माण कार्य की प्रमुख विशेषताएँ

  • नया गर्भगृह और शिखर: मंदिर के मुख्य गर्भगृह को पारंपरिक कुमाऊँनी शैली में विस्तारित किया जा रहा है, जिसमें मूर्ति के लिए एक नया विशाल शिखर बनाया जा रहा है।
  • भक्तों के लिए धर्मशाला: तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए एक नई धर्मशाला का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
  • प्राकृतिक जल स्रोत का संरक्षण: मंदिर के पास स्थित पवित्र झरने और कुंड को सुंदर ढंग से विकसित किया जा रहा है।
  • पार्किंग और सड़क सुविधा: भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर तक पहुँच मार्ग को चौड़ा किया जा रहा है और पार्किंग की व्यवस्था की जा रही है।

सहयोग की अपील

मंदिर ट्रस्ट ने सभी भक्तों से इस पुण्य कार्य में सहयोग करने की अपील की है। जो भी श्रद्धालु मंदिर के निर्माण कार्य में आर्थिक सहयोग करना चाहते हैं, वे मंदिर समिति के सचिव श्री चंदन सिंह मनराल जी से संपर्क कर सकते हैं।

संपर्क सूत्र:

  • नाम: श्री चंदन सिंह मनराल
  • फोन नंबर: 9412417171
  • ऑनलाइन सहयोग: मंदिर के आधिकारिक सोशल मीडिया पेज या बैंक खाते के माध्यम से भी योगदान किया जा सकता है।

भक्तों का योगदान

स्थानीय भक्तों और दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं ने इस निर्माण कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। कई लोगों ने निस्वार्थ भाव से श्रमदान भी किया है। मंदिर समिति का कहना है कि “माँ जीयारानी के भक्तों का हर छोटा-बड़ा सहयोग इस पावन कार्य को पूरा करने में मदद करेगा।”

निष्कर्ष

माँ जीयारानी मंदिर का यह नवनिर्माण कार्य न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र के पर्यटन और सांस्कृतिक विकास में भी योगदान देगा। सभी भक्तों से अनुरोध है कि वे इस पुण्य कार्य में अपना योगदान देकर माँ के मंदिर को और भी भव्य बनाने में सहायता करें।

– रिपोर्ट: कविंद्र मोहन, स्थानीय संवाददाता


By devbhoomikelog.com

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