सुरंग ढहने के कारण 17 दिनों तक फंसे रहे श्रमिकों के कारण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहने के करीब 17 महीने बाद बुधवार को सिल्क्यारा सुरंग के निर्माण में सफलता मिली। सिल्क्यारा सुरंग के सफल निर्माण समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शामिल हुए। गौरतलब है कि 12 नवंबर 2023 को सुरंग के अंदर 41 श्रमिक फंस गए थे और बड़े पैमाने पर अभियान के बाद 17 दिनों के बाद उन्हें सुरक्षित बचा लिया गया था। इस अवसर पर बोलते हुए सीएम ने परियोजना से जुड़े सभी इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों और श्रमिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह सफलता न केवल उन्नत इंजीनियरिंग की सफलता है बल्कि विश्वास और समर्पण का उदाहरण है। सीएम ने कहा कि सिल्क्यारा सुरंग बचाव दुनिया के सबसे लंबे और सबसे जटिल बचाव अभियानों में से एक था। मिशन में शामिल प्रत्येक व्यक्ति ने मानवता और टीम वर्क का असाधारण उदाहरण पेश किया। उन्होंने कहा कि यह तकनीकी और मानवीय संकल्प की सच्ची परीक्षा थी और सभी ने इसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए एक साथ काम किया।
मुख्यमंत्री ने बचाव दल, रैट माइनर्स, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सभी सहयोगी एजेंसियों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस अभियान को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि सिल्क्यारा रेस्क्यू पर पूरी दुनिया की नजर थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और केंद्र सरकार के पूर्ण सहयोग से राज्य सरकार ने इस अत्यंत चुनौतीपूर्ण अभियान को सफलतापूर्वक संचालित किया, जिसमें देश-दुनिया से विशेषज्ञों और आधुनिक संसाधनों की मदद ली गई। उन्होंने फंसे श्रमिकों द्वारा दिखाए गए धैर्य और साहस की सराहना की, जिससे सभी का मनोबल बढ़ा। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि सिल्क्यारा सुरंग का नाम बाबा बौखनाग के नाम पर रखा जाएगा और बौखनाग टिब्बा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, विधायक सुरेश चौहान, दुर्गेश्वर लाल, संजय डोभाल, एनएचआईडीसीएल के एमडी कृष्ण कुमार, जिलाधिकारी मेहरबान सिंह बिष्ट और पुलिस अधीक्षक सरिता डोभाल मौजूद थे।
परियोजना
4.5131 किलोमीटर लंबी सिल्कयारा सुरंग परियोजना में सफलता इसकी महत्ता को देखते हुए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। परियोजना पूरी होने के बाद चार धाम यात्रा को बढ़ावा मिलेगा। डबल लेन सुरंग का निर्माण लगभग 1384 करोड़ रुपये की कुल लागत से किया जाएगा। पूरा होने पर, सुरंग गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के बीच की दूरी 25 किलोमीटर कम कर देगी। इस परियोजना से क्षेत्र में व्यापार, पर्यटन और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।