राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए उत्तराखंड के लिए 54,698 करोड़ रुपये की ऋण क्षमता का अनुमान लगाया है। यह खुलासा गुरुवार को नाबार्ड द्वारा आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार के दौरान जारी स्टेट फोकस पेपर-2025-26 में हुआ।
पेपर के अनुसार, वर्ष 2025-26 के लिए उत्तराखंड की ऋण क्षमता पिछले वर्ष की तुलना में 36 प्रतिशत अधिक है। इसमें 2025-26 के लिए कुल कृषि ऋण 19,306.96 करोड़ रुपये, एमएसएमई में 30,477.92 करोड़ रुपये और अन्य प्राथमिक क्षेत्रों में 4913.53 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया है।
सेमिनार को संबोधित करते हुए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि नाबार्ड द्वारा उपलब्ध कराये गये ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि (आरआईडीएफ) ऋण से राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास को विशेष गति मिली है। पलायन को राज्य की प्रमुख समस्याओं में से एक बताते हुए सीएस ने सुझाव दिया कि नाबार्ड को अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर पलायन की समस्या के समाधान के लिए परियोजनाएं शुरू करनी चाहिए। सीएस ने कहा कि जिलों की ऋण क्षमता के आधार पर जिलावार विकास योजनाएं बनायी जा सकती हैं. उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा में राज्य के लिए अपार संभावनाएं हैं और यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा कर सकती है।
अपर मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने कहा कि पलायन के कारण राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि कार्यों में लगे लोगों की संख्या कम हो रही है और कृषि भूमि बंजर भूमि में परिवर्तित होती जा रही है। उन्होंने कहा कि बाहरी एजेंसी की मदद से प्रत्येक जिले में आकांक्षी क्षेत्रों की पहचान की जानी चाहिए और उनसे संबंधित योजनाएं तैयार कर उन्हें राज्य फोकस पेपर में समाहित किया जाना चाहिए।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक पंकज यादव ने कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास, लघु उद्योगों को बढ़ावा देना, वित्तीय साक्षरता बढ़ाना और माइक्रो फाइनेंस नाबार्ड के प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं. उन्होंने कहा कि फोकस पेपर में केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न नीतिगत पहल शामिल हैं। यादव ने कहा कि नाबार्ड अपने गठन से ही राज्य को सहायता प्रदान कर रहा है.
सेमिनार में सचिव एसएन पांडे, भारतीय रिजर्व बैंक की महाप्रबंधक दीप्ति अग्रवाल, राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक और भारतीय स्टेट बैंक के जीएम दीपेश राज समेत अन्य शामिल हुए.