नैनीताल के एस्ट्रो विलेज में चांद-तारों के दीदार और जसुली देवी संग्रहालय में कुमाऊं के इतिहास की झलक। काटेज के भीतर से भी ब्रह्मांड दर्शन का अनोखा अनुभव। सुयालबाड़ी में जसुली देवी धर्मशाला और रेस्टोरेंट का जीर्णोद्धार। नदी किनारे चाय की चुस्कियां और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद। नैनीताल पर्यटन में नए आयाम जोड़ने वाली ये पहलें पर्यटकों को आकर्षित करेंगी।
तीन साल पूर्व नैनीताल के डीएम रहे धीराज गर्ब्याल के प्रयास अब धरातल पर उतर पाए हैं।शहर के समीप ताकुला में एस्ट्रो विलेज व सुयालबाड़ी में जसुली देवी की धर्मशाला का जीर्णोद्धार कार्य पूरा हो चुका है। जिसके बाद पर्यटन विभाग दोनों इकाइयों के टेंडर प्रक्रिया में जुट गया है।बता दें कि पूर्व डीएम धीराज गर्ब्याल ने जिले में नये पर्यटन स्थलों को स्थापित करने के साथ उन्हें संवारने की पहल शुरू की थी। उनकी पहल पर पर्यटन विभाग ने ताकुला में एस्ट्रो विलेज स्थापित करने की योजना तैयार की थी।
निर्माण कार्य पूरा होने में लगे तीन साल
वर्ष 2022 में पर्यटन विभाग को करीब 90 नाली भूमि हस्तांतरित होने व बजट मिलने के बाद निर्माण कार्य भी शुरू हो गया। जो तीन वर्ष बाद अब जाकर पूरा हुआ है। वहीं सुयालबाड़ी स्थित जसुली देवी की जीर्णक्षीर्ण हो चुकी धर्मशाला का भी निर्माण पूरा हो चुका है।जिला पर्यटन अधिकारी अतुल भंडारी ने बताया कि दोनों ही ईकाइयों के टेंडर कराने की प्रक्रिया की शुरूआत कर दी गई है। जिला पर्यटन विकास समिति की बैठक में स्वीकृति मिलने के बाद तय की गई दरों पर टेंडर आमंत्रित किये जाएंगे।काटेज के भीतर से भी होंगे ब्रह्मांड दर्शन
जिला पर्यटन अधिकारी अतुल भंडारी ने बताया कि एस्ट्रो विलेज में आठ काटेज बनाए गए हैं। काटेज की छतों पर शीशा लगाया गया है। जिससे यहां ठहरने वाले पर्यटक रात को भीतर से भी चांद तारों से रुबरु हो सकेंगे।आठ काटेज की संपत्ति का प्रति माह 62 हजार रुपये किराया निर्धारित किया गया है। हालांकि यह न्यूनतम दरें है। ओपन टेंडर आमंत्रित करने के बाद विभाग को इससे अधिक आमदनी होने की उम्मीद है।नदी किनारे ले सकेंगे चाय की चुस्कियां
जिला पर्यटन अधिकारी ने बताया कि सुयालबाड़ी में जसुली देवी धर्मशाला स्थल पर पुराने धर्मशाला भवन के जीर्णोद्धार के साथ ही रेस्टोरेंट भी बनाया गया है। इसके अलावा एक पुराने धर्मशाला भवन को जसुली देवी संग्रहालय के रुप से स्थापित किया गया है। इस संग्रहालय में जसुली देवी व कुमाऊं के इतिहास से जुड़ी छलकियों को पेंटिंग व अन्य माध्यमों से प्रदर्शित किया जाएगा।
अलावा नदी किनारे निर्मित रेस्टोरेंट में पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठा सकेगा। पारंपरिक शैली में किया गया भवन निर्माण भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा। बताया कि भविष्य में नदी किनारे एगलिंग प्वाइंट भी विकसित किये जाने की योजना है। जसुली देवी धर्मशाला व रेस्टोरेंट के लिए न्यूनतम 29 हजार रुपये प्रतिमाह किराया निर्धारित किया गया है।