12 दिसंबर 2025: उत्तराखंड के लिए एक बड़ी सौगात! राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने हल्द्वानी से हरिद्वार तक प्रस्तावित एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट को औपचारिक मंजूरी दे दी है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के पूरा होने के बाद कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों के बीच यात्रा का समय आधा होने की उम्मीद है। वर्तमान में जो सफर कई घंटों का रहा आता है, वह अब मात्र ढाई घंटे में तय हो सकेगा। यह घोषणा उद्धम सिंह नगर और नैनीताल से सांसद अजय भट्ट ने की है, जिन्होंने इस प्रोजेक्ट को उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग के लिए ‘गेम चेंजर’ बताया है।
प्रोजेक्ट की मुख्य विशेषताएं और महत्व
यह एलिवेटेड रोड हल्द्वानी से हरिद्वार को सीधे जोड़ेगी, जो राज्य के दो प्रमुख क्षेत्रों कुमाऊं और गढ़वाल के बीच एक मजबूत कड़ी साबित होगी। हालांकि, वर्तमान में प्रोजेक्ट की कुल लंबाई, अनुमानित लागत या निर्माण की विशिष्ट विशेषताओं (जैसे लेन की संख्या, इंटरचेंज या पर्यावरणीय उपाय) का खुलासा नहीं किया गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग (National Highways Department) द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (Detailed Project Report – DPR) तैयार की जा रही है, जिसमें इन सभी पहलुओं को अंतिम रूप दिया जाएगा।
सांसद अजय भट्ट ने अपनी आधिकारिक घोषणा में कहा, “हल्द्वानी से हरिद्वार तक एलिवेटेड रोड को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा मंजूरी दे दी गई है। इस एलिवेटेड रोड के बनने से हल्द्वानी से हरिद्वार की दूरी ढाई घंटे में तय कर ली जाएगी।” उन्होंने आगे जोड़ा कि यह प्रोजेक्ट उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों के लिए वरदान साबित होगा, क्योंकि कुमाऊं (नैनीताल, रानीखेत जैसे क्षेत्र) और गढ़वाल (हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ) के बीच यात्रा आसान हो जाएगी। भट्ट ने कहा, “यह न केवल समय की बचत करेगा, बल्कि राज्य के पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।”
पर्यटन और आर्थिक लाभ: क्यों है यह प्रोजेक्ट क्रांतिकारी?
उत्तराखंड, जो ‘देवभूमि’ के नाम से जाना जाता है, हर साल लाखों पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। हल्द्वानी, जो कुमाऊं का प्रवेश द्वार है, से हरिद्वार (गंगा के तट पर स्थित पवित्र नगरी) तक का वर्तमान मार्ग अक्सर जाम, दुर्घटनाओं और मौसमी बाधाओं से ग्रस्त रहता है। इस एलिवेटेड रोड के निर्माण से:
- समय की बचत: वर्तमान 4-5 घंटे का सफर घटकर 2.5 घंटे का हो जाएगा, जिससे यात्री थकान से बचेंगे।
- पर्यटन वृद्धि: कुमाऊं के पर्यटक आसानी से गढ़वाल के धार्मिक और साहसिक स्थलों (जैसे चार धाम यात्रा) तक पहुंच सकेंगे। इससे होटल, ट्रांसपोर्ट और लोकल बिजनेस को बूस्ट मिलेगा।
- आर्थिक प्रभाव: राज्य सरकार के अनुसार, यह प्रोजेक्ट स्थानीय रोजगार सृजन करेगा और उत्तराखंड की जीडीपी में योगदान देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सालाना पर्यटन राजस्व में 20-30% की वृद्धि संभव है।
- सुरक्षा और पर्यावरण: एलिवेटेड डिजाइन से सड़क हादसों में कमी आएगी और वन्यजीवों वाले क्षेत्रों में कम हस्तक्षेप होगा।
निर्माण की समयसीमा और अगले कदम
हालांकि, निर्माण की शुरुआत और पूरा होने की कोई निश्चित समयसीमा अभी घोषित नहीं की गई है। DPR के अंतिम होने के बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी, और अनुमान है कि प्रोजेक्ट 2-3 वर्षों में धरातल पर उतर सकता है। केंद्र सरकार की ‘भारतमाला परियोजना’ के तहत यह प्रोजेक्ट फंडिंग प्राप्त करेगा, जो उत्तराखंड के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का हिस्सा है।
पृष्ठभूमि: उत्तराखंड के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की दिशा में एक कदम
यह मंजूरी उत्तराखंड सरकार की लंबे समय से चली आ रही मांग का परिणाम है। पिछले कुछ वर्षों में राज्य में कई राजमार्ग परियोजनाएं (जैसे चरण-2 के तहत टिहरी-नई टिहरी बाईपास) पूरी हो चुकी हैं, लेकिन हल्द्वानी-हरिद्वार लिंक की कमी महसूस की जा रही थी। सांसद भट्ट ने इसकी वकालत करते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से कई दौर की चर्चा की। यह प्रोजेक्ट न केवल स्थानीय लोगों की सुविधा बढ़ाएगा, बल्कि पूरे हिमालयी राज्य को राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क से बेहतर तरीके से जोड़ेगा।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं उमड़ रही हैं, जहां लोग इसे ‘उत्तराखंड के लिए नई क्रांति’ बता रहे हैं, पर सरकारी घोषणाओं से त्रस्त जनता कार्य के अंतिम रूप देने तक इसे लेकर संशय में भी है I क्या आपका कोई अनुभव या सुझाव है? कमेंट्स में बताएं!