हल्दापानी में करीब 80 मकान हैं, जिसमें से 20 मकानों में दरारें आ चुकी हैं। अब ड्रिलिंग के बाद से 10 से 12 मकानों में दरारें बढ़ गई हैं। हल्दापानी भूस्खलन क्षेत्र में चल रहा ट्रीटमेंट कार्य लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। हल्दापानी में अब तक 20 मकानों में दरारें आ चुकी हैं, लेकिन भूस्खलन ट्रीटमेंट के काम से अब यहां करीब 12 मकानों की दरारें बढ़ गई हैं। स्थिति यह है कि एक मकान के दीवारों की दरारें इतनी चौड़ी हो गई कि आरपार दिखाई देने लगा है।
सिंचाई विभाग ने अब यहां मशीन से ड्रिलिंग का काम रोक दिया। बृहस्पतिवार को भी यहां ड्रिलिंग नहीं हुई, जबकि भूस्खलन क्षेत्र में सेल्फ ड्रिलिंग का काम जारी है। वहीं, हल्दापानी में करीब 80 मकान हैं, जिसमें से 20 मकानों में दरारें आ चुकी हैं। अब ड्रिलिंग के बाद से 10 से 12 मकानों में दरारें बढ़ गई हैं। प्रभावित क्षेत्र में दरारों वाले मकानों में लोग रहने में भी डर रहे हैं।
अनीता नेगी ने बताया, उनके चार कमरों में दरारें इतनी चौड़ी हो गई कि कमरे की दीवार के बाहर आरपार दिखाई दे रहा है। जहां ड्रिलिंग हो रही है उसके पास ही यह मकान है। ऐसे में दीवार के कभी भी गिरने का खतरा बना हुआ है। उन्होंने प्रशासन से शीघ्र विस्थापन की मांग उठाई। वहीं, सिंचाई विभाग के ईई अरविंद नेगी ने बताया, सड़क पर ड्रिलिंग के दौरान पानी का रिसाव शुरू हो गया है।
आशंका है कि यह सीवर का पानी होगा। इसकी जांच करवाई जा रही है। आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों के दिशा निर्देशन में भू-धंसाव का ट्रीटमेंट किया जा रहा है। भू-धंसाव वाले एरिया में पानी की निकासी को रोकने के लिए भूमि के अंदर कुछ उपचार किया जाएगा। साथ ही माइक्रो पाइलिंग भी की जाएगी, जिससे मिट्टी की पकड़ बनी रहे।
हल्दापानी भू-धंसाव क्षेत्र में 80 करोड़ की लागत से ट्रीटमेंट कार्य किया जा रहा है। आवासीय मकानों की सुरक्षा के उपाय किए जा रहे हैं। कुछ प्रभावितों को भवनों को छोड़ने के लिए नोटिस भी दिए गए हैं।