भाजपा के हलकों में यह चर्चा काफी तेज है कि प्रत्याशियों की घोषणा जल्द हो सकती है। यही वजह है कि लोकसभा सीटों पर पार्टी के पांचों सांसदों के दिलों की धड़कने पर तेज हो रही हैं। लोकसभा चुनाव लड़ने की ख्वाहिश रखने वाले भाजपा के 55 दावेदारों की नजर नई दिल्ली में हो रही केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक पर लगी है। इस बैठक में उत्तराखंड की पांचों लोस सीटों के लिए प्रत्याशी तय होने की संभावना जताई जा रही है।
भाजपा के हलकों में यह चर्चा काफी तेज है कि प्रत्याशियों की घोषणा जल्द हो सकती है। यही वजह है कि लोकसभा सीटों पर पार्टी के पांचों सांसदों के दिलों की धड़कने पर तेज हो रही हैं। प्रत्याशियों के नामों का पैनल लेकर नई दिल्ली पहुंचे सीएम पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की बुधवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष के साथ बैठक हो चुकी थी।
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में केंद्रीय नेताओं ने दोनों नेताओं से संभावित प्रत्याशियों के संबंध में फीडबैक भी लिया था। माना जा रहा था कि सीएम बृहस्पतिवार को देहरादून लौट आएंगे, लेकिन वह नई दिल्ली में डटे हुए हैं। ऐसे में इस बात की संभावना जताई जा रही कि केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के दौरान एक बार फिर धामी और भट्ट से संभावित नामों पर चर्चा हो सकती है।
चर्चा यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में हो रही चुनाव समिति की बैठक में भाजपा उन राज्यों की लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों के नाम तय कर सकती है, जहां पहले चरण में चुनाव होने की संभावना है। इन राज्यों में उत्तराखंड भी शामिल बताया जा रहा है। पहले चरण में करीब 125 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की संभावना जताई जा रही है।
बलूनी, त्रिवेंद्र, दीप्ति, रेखा के नाम भी चर्चाओं में
उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर पार्टी नेतृत्व किन चेहरों पर दांव लगाएगा, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। पार्टी के कद्दावर नेताओं तक को नहीं मालूम कि अंतिम समय में पार्टी कौन सा चौंकाने वाले दांव चल दे, लेकिन सियासी हवाओं में कुछ सीटों पर जो नाम चल रहे हैं, उनमें पौड़ी गढ़वाल से अनिल बलूनी, त्रिवेंद्र सिंह रावत, दीप्ति रावत के नाम भी चर्चाओं में है। इसके अलावा अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट से रेखा आर्या के नाम की चर्चाएं हो रही हैं। इसके अलावा हरिद्वार लोस सीट से त्रिवेंद्र सिंह रावत की दावेदारी भी सुर्खियों में है। इन दावेदारियों के बीच अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को देना है, इसलिए सबकी निगाहें नई दिल्ली पर लगी हैं।